जागरण संवाददाता, गोरखपुर। खराब आहार और बदलते जीवन शैली कैंसर का प्रमुख कारण है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग के डा. अनुराग कुमार गौतम ने अपने शोध में मेटाबालिज्म को कैंसर के बायोमार्कर के रूप में पहचाना है। अंतरराष्ट्रीय जर्नल \“\“एल्सेवियर\“\“ ने शोधपत्र प्रकाशित कर उनके इस शोध को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
डा. गौतम के शोध में इसे लेकर चार प्रमुख बातें सामने आई हैं। लिवर कैंसर में परिवर्तित मेटाबालिक मार्क एरोबिक ग्लाइकोलाइसिस को बढ़ावा देते हैं, जिससे लेक्टेट संचय और ट्यूमर की वृद्धि होती है। आंत के माइक्रोबायोम में डिसबायोसिस सूजन और मेटाबालिक परिवर्तनों के माध्यम से क्रानिक लिवर रोग और हेपटासेल्यूलर कार्सिनोमा के विकास में योगदान देता है।
विशिष्ट मेटाबालिट्स हैपेटासेल्यूलर कार्सिनोमा प्रगति में बायोमार्कर के रूप में कार्य करते हैं और लक्षण चिकित्सा के दौरान रोगी स्तरीकरण में मदद करते हैं। एंजाइम, लिपिड, प्रोटीन और अमीनो एसिड से संबंधित मेटाबालिट्स का नियंत्रण सूजन फाइब्रोसिस और आनकोजेनिक सिगनलिंग मार्गों को बढ़ावा दे सकता है। यानी मेटाबॉलिज्म डिसआर्डर की वजह से लिवर कैंसर के मामले हो रहे हैं।
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इस अध्ययन को लिवर कैंसर की प्रारंभिक पहचान, नए बायोमार्कर विकास, व्यक्तिगत चिकित्सा और टारगेटेड थेरेपी के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। डा. अनुराग के अनुसार उनका यह शोध लिवर कैंसर के उपचार में वैश्वीकरण नीति बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
इस शोध मेें उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय के डा. प्रणेश, राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के दीपांकर यादव और आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के डा. विजय कुमार का सहयोग मिला है। उनकी इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बधाई दी है। |