अस्तित्व बचाने के लिए जैश ए मोहम्मद ने कराया दिल्ली धमाका। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इतालवी खोजी पत्रकार फ्रांसेस्का मारिनो ने कहा है कि 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले पर हुए आत्मघाती हमले को अलग घटना नहीं मानना चाहिए, बल्कि ये जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) की फिर से उभरती सक्रियता का संकेत है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एक विशेष इंटरव्यू में उन्होंने आगाह किया कि संगठन तेजी से खुद को पुनर्गठित कर रहा है और नई रणनीतियां अपना रहा है। उन्होंने कहा, “जैश-ए-मोहम्मद का अस्तित्व ही भारत को निशाना बनाने के लिए है।
संगठन अपनी प्रासंगिकता और फंडिंग बनाए रखने के लिए हमलों पर निर्भर है। \“\“मारिनो अपनी पुस्तक - फ्राम पुलवामा टु पेबैक- द इनसाइड स्टोरी- के संदर्भ में बात कर रही थीं।
\“हमले में किया गया TATP का इस्तेमाल\“
उन्होंने बताया कि इस हमले में टीएटीपी (ट्रायएसिटोन ट्रायपेरोक्साइड)का इस्तेमाल किया गया, जिसे \“\“शैतान की मां\“\“ कहा जाता है। यही विस्फोटक कई यूरोपीय आतंकी हमलों में भी प्रयोग किया गया था।
\“बालाकोट स्ट्राइक का भी किताब में किया गया जिक्र\“
उनकी किताब में 2019 के पुलवामा हमले और भारत के बालाकोट स्ट्राइक से जुड़ी घटनाओं की श्रृंखला का उल्लेख है। उन्होंने बताया कि भारत के बालाकोट स्ट्राइक के बाद उन्होंने अपनी आंखों से 35 लाशें देखी थीं। पाकिस्तान सेना ने खुद जुटकर आनन फानन में सारा मलबा साफ किया और घायलों को सेना के अस्पतालों में भर्ती किया गया।
उन्होंने कहा कि खुफिया इनपुट के आधार पर वह कह सकती हैं कि ये धमाका छह दिसंबर को किसी हिंदू धार्मिक स्थल पर किया जाना था। इनपुट ये भी है कि ये संगठन आक्रामक तरीके से खुद को खड़ा कर रहा है। जैश के सरगना मसूद अजहर के रिश्तेदार महिला आत्मघाती दस्ता तैयार करने में जुटे हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठान में कट्टरपंथ बढ़ रहा है और सेना प्रमुख जनरल आसीम मुनीर जैश और लश्कर जैसे आतंकवादी नेटवर्क को बनाए रखने के लिए दुस्साहसी काम कर रहे हैं। |