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हिट एंड रन की घटना के बाद कैसे मिलता है भुगतान? समझिए ए टू जेड प्रोसेस

cy520520 2025-11-18 00:38:07 views 757

  



धर्मेश अवस्थी, लखनऊ। सिंगार निवासी राहुल श्रीवास्तव 24 दिसंबर 2024 को शहीद पथ के रास्ते बुलेट मोटरसाइकिल से घर जा रहे थे, अंबेडकर यूनिवर्सिटी के पास तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दिया। पीजीआइ के ट्रामा सेंटर में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

25 अक्टूबर को रायबरेली रोड के कल्ली पश्चिम में अज्ञात वाहन ने मोपेड सवार दंपति को टक्कर मार दिया। जहां महिला मृत व पति की हालत नाजुक बनी थी। हिट एंड रन की ऐसी घटनाएं नौ माह में ही राजधानी में 38 हो चुकी हैं, इनमें किसी प्रभावित को अब तक सरकार की तरफ से मदद नहीं मिल सकी है।

लखनऊ में आए दिन सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने व घायलों की संख्या थमने का नाम नहीं ले रही। दुर्घटनाओं की वजह वाहनों के चालक या फिर तात्कालिक परिस्थितियां रही हों लेकिन, विभिन्न विभागों के अफसर भी अनसुनी करने के गुनहगार हैं। प्रदेश सरकार हादसों की संख्या 50 प्रतिशत कम करने पर लगातार निर्देश दे रही है।

विभागों के अधिकारी बैठकों में ऐसा करने का संकल्प भी ले रहे लेकिन, घटना के बाद अफसर जांच करने का समय नहीं निकाल पा रहे। हिट एंड रन मामले में जनवरी से सितंबर तक मंडलभर में 502 घटनाएं हुईं, उनमें से 206 का निपटारा हुआ, जबकि 399 प्रकरण लंबित हैँ।

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ पुष्पसेन सत्यार्थी कहते हैं कि सड़क की सुरक्षा तभी संभव है, जब योजनाओं का सही से प्रचार-प्रसार हो और हिट एंड रन मामले में समयबद्ध निस्तारण कराया जाए। आरटीओ प्रवर्तन प्रभात कुमार पांडेय ने बताया जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में सभी विभागों को सख्त निर्देश दिए गए हैं, जल्द ही भुगतान की प्रक्रिया शुरू होगी।

क्या है योजना
हिट एंड रन योजना में अज्ञात वाहन की टक्कर से घटित सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को 50 हजार व मृत्यु की दशा में परिवार को दो लाख की आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था है।

ऐसे मिलेगी सहायता
हिट एंड रन यानी अज्ञात वाहन से घायल या मृत व्यक्ति के परिवारीजनों को उप जिलाधिकारी के यहां आवेदन करना होगा, इसमें एफआइआर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व इलाज से संबंधित प्रपत्र भी देना होगा। एसडीएम योजना में क्लेम इंक्वायरी अफसर यानी दुर्घटना जांच अधिकारी हैं।

एसडीएम के निर्देश पर संबंधित थाने की पुलिस प्रकरण की जांच करके रिपोर्ट देगी। जांच रिपोर्ट मिलने पर एसडीएम उसे जिलाधिकारी को भेजेंगे, डीएम क्लेम सेटलमेंट कमिश्नर हैं। डीएम संबंधित बीमा कंपनी को निर्देश देंगे वहां से संबंधित को भुगतान मिलेगा।
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