ओवैसी की AIMIM ने बिगाड़ा कइयों का खेल। (जागरण)
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ गए हैं। बिहार चुनाव में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है और वह 20 नवंबर को नई सरकार बनाएगी।
वहीं, बात की जाए बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों की तो इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और NOTA को लगभग बराबर वोट मिले हैं।
चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के अनुसार, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को 1.85 प्रतिशत वोट मिले, जबकि नोटा को 1.81 प्रतिशत वोट मिले। इस मामूली अंतर ने राजनीतिक हलकों में उत्सुकता जगा दी है।
एआईएमआईएम के एक कार्यकर्ता ने कहा, \“एआईएमआईएम और नोटा के बीच सिर्फ आंकड़ों में ही समानता नहीं, बल्कि उन्होंने तर्क दिया कि एआईएमआईएम के चुनाव चिह्न पर वोट देने वाले और नोटा चुनने वाले मतदाता लगभग एक जैसे कारणों से ऐसा करते हैं।\“ उन्होंने कहा कि दोनों ही मामलो में वोटरों ने राजनीतिक दलों से अपनी नाराजगी जाहिर की। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भाकपा , माकपा, मायावती की बसपा और शरद पवार की राकांपा समेत कई अन्य दलों को नोटा से भी कम वोट मिले। राजनीतिक जानकारों के अनुसार इन पारंपरिक दलों के पतन का गहन अध्ययन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि तारिक अनवर के जाने के बाद, राकांपा ने बिहार की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता खो दी, जबकि भाकपा, माकपा और बसपा ने राज्य में लंबे समय तक अपनी उपस्थिति बनाए रखी है, जिससे उनका खराब प्रदर्शन विशेष रूप से चौंकाने वाला है।
सीपीआई का पतन इसलिए भी ज्यादा स्पष्ट है क्योंकि यह पार्टी कभी बिहार की राजनीति में एक बड़ी ताकत हुआ करती थी। लेकिन धीरे-धीरे अब यह पार्टी भी बिहार में अपना जनाधार खो रही है।
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