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अपनों ने भुलाकर दर्द दिया... रामलाल वृद्धाश्रम बना सहारा: ऐसी है देश भर से आए इन 10 बुजुर्गों की कहानी

deltin33 2025-11-16 17:37:21 views 1249
  

रामलाल वृद्धाश्रम ने हाल ही में दस ऐसे बुजुर्गों को सहारा दिया।



जागरण संवाददाता, आगरा। जीवन के आख़िरी पड़ाव पर जब सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, तब कुछ वृद्धजन अपनों के ही द्वारा तिरस्कृत होकर दर-दर भटकने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे ही असहाय, पीड़ित और निराश बुजुर्ग माता–पिता के लिए सिकंदरा स्थित रामलाल वृद्ध आश्रम पिछले दस दिनों में दस नए जीवन का सहारा बना है। गुलाबी सर्द हवाओं में ठिठुरते यह बुजुर्ग अपनेपन की गर्माहट की तलाश में जब वृद्धाश्रम पहुंचे, तो वह मानीयता व अपनापन मिला, जो उन्हें अपने खून के रिश्तों में नहीं मिला। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
अलग-अलग स्थानों से आश्रम पहुंचें बुजुर्ग, अपनों के ठुकराए बुजुर्गों को गैरों ने दिया सहारा


आश्रम में शरण लेने वाले इन दसों बुजुर्गों की कहानी दिल को झकझोर देती है। फरीदाबाद की 72 वर्षीय नगीना जैन हों या कानपुर के 49 वर्षीय सुनील कुमार, भरतपुर के 74 वर्षीय दिनेश चंद शर्मा हों या आगरा के दीपक गौतम, सभी किसी न किसी रूप में उपेक्षा, प्रताड़ना और अकेलेपन के शिकार हुए। लखनऊ के शरद कटियार, ताजगंज निवासी सुनहरी लाल, गैलेना रोड की विमला देवी, दिल्ली के राजीव शर्मा, फरीदाबाद की शोभा रानी और सोनू शर्मा, सबकी तकलीफ अलग थीं लेकिन दर्द एक ही था। कि अपनों ने भुलाकर दर्द दिया।



जीने की नई उम्मीद दी गई


रामलाल वृद्ध आश्रम ने इन सभी को छत के साथ सम्मान, अपनापन और जीने की नई उम्मीद दी गई। आश्रम अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि यह सभी माता-पिता सम्मान के हकदार हैं। हमारा प्रयास है कि उन्हें परिवार जैसा वातावरण मिले, ताकि वे अपने जीवन की सांझ शांति से बिता सकें।

सेवा अभियान में राजकुमार जैन, संदेश जैन, हेमंत गौतम, विनय शर्मा, धीरज चौधरी, मुकेश सारस्वत, नागेंद्र सांगेर और सुनील दीक्षित आदि तन-मन-धन से जुड़े हैं।
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