जयप्रकाश एसोसिएट्स के शेयरों में पिछले कुछ दिनों से लगातार 5 फीसदी का लोअर सर्किट लग रहा है।
नई दिल्ली। दिवालिया हो चुकी कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदने के लिए वेदांता ग्रुप ने बोली जीत ली थी। इसके बाद लग रहा था कि कंपनी के हालात सुधरेंगे और शेयरधारकों को उम्मीद थी कि जयप्रकाश एसोसिएट्स के शेयरों (jaiprakash Associates share) में तेजी आएगी। लेकिन, ऐसा लग नहीं रहा है क्योंकि जयप्रकाश एसोसिएट्स के शेयरों में पिछले कुछ दिनों से लगातार 5 फीसदी का लोअर सर्किट लग रहा है, और शेयरों का भाव टूटकर 3 रुपये से नीचे आ गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदने की रेस में अदाणी ग्रुप (Adani Group) भी शामिल था, लेकिन बोली अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले समूह वेदांता ने जीती।
क्यों गिर रहे हैं कंपनी के शेयर?
अगस्त में कंपनी के शेयरों में लगातार तेजी देखने को मिल रही थी और रोजाना 5-5 फीसदी का अपर सर्किट लग रहा था। लेकिन, 18 अगस्त से जयप्रकाश एसोसिएट्स के शेयरों में बिकवाली का दौर शुरू हुआ, तब से यह शेयर हर ट्रेडिंग सेशन में 5 फीसदी गिर रहा है।
जयप्रकाश एसोसिएट्स के शेयरों में गिरावट की एक खास वजह है। दरअसल, ब्रोकरेज फर्म नुवामा ने वेदांता लिमिटेड पर एक नए नोट में कहा है कि जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेपी एसोसिएट्स) की संपत्तियों का अधिग्रहण करके एक अनजान बिजनेस में कदम रखना है और इससे कंपनी के शेयरों के मूल्यांकन पर असर पड़ेगा।True Wireless Earbuds,Budget Earbuds,Active Noise Cancellation Earbuds,Long Battery Life Earbuds,boAt Airdopes Loop,JBL Wave Beam,CMF by Nothing Buds 2a,OnePlus Nord Buds 3,Realme Buds T310,Best True Wireless Earbuds
पहले से कर्ज में वेदांता
एनसीएलटी के तहत जयप्रकाश एसोसिएट्स की संपत्ति खरीदने के लिए वेदांता ने 17,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने पर सहमति जताई है। हालांकि, यह सौदा अभी अंतिम नहीं है क्योंकि लेनदारों की समिति को समाधान योजना को अंतिम रूप देने में लगभग दो महीने लगने की संभावना है।
नुवामा ने कहा, “अगर यह वेदांता के पक्ष में जाता है, तो एनसीएलटी की मंजूरी की आवश्यकता होगी, जिसमें 4,000 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि का भुगतान होने से पहले 8-10 महीने और लग सकते हैं।“
इसके अलावा, वेदांता इस परिसंपत्ति को वेदांत लिमिटेड के अधीन ही रखेगा, जहां पूरे 17,000 करोड़ रुपये का वित्तपोषण मुश्किल होगा।
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इसके अलावा, अन्य एक्सपर्ट्स और ब्रोकरेज फर्मों ने कमजोर तालमेल, कर्ज के जोखिम और किसी भी बदलाव की सीमित संभावना की ओर इशारा किया है, जिससे संकेत मिलता है कि यह सौदा अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली कंपनी के लिए फायदे से ज़्यादा नुकसानदेह हो सकता है। यही एक वजह है कि जयप्रकाश एसोसिएट्स के शेयरों में बिकवाली हावी है।
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