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देश में सबसे प्रदूषित शहरों में ग्रेनो पहला और दूसरा नोएडा, कई सेक्टरों में एक्यूआई 400 के पार; ग्रेप भी फेल

deltin33 2025-11-16 00:07:05 views 962
  

प्रतीकात्मक तस्वीर।



जागरण संवाददाता, नोएडा। सर्दी बढ़ते ही लगातार नोएडा में हवा की गुणवत्ता भी खराब होने लगी है। शनिवार को देश का सवसे प्रदूषित शहरों में ग्रेनो पहला और दूसरा नोएडा रहा। यहां ग्रेनो में एक्यूआई 418 और नोएडा का एक्यूआई 397 जो गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सांस लेने में भी हो रही दिक्कत

वायु की गुणवत्ता इतनी खराब रही कि सांस लेने में भी लोगों को परेशानी हुई और आंखों में जलन, गले में खराश तक होने लगी। नोएडा और गाजियाबाद में सख्त प्रतिबंध लागू किए गए हैं, जिनमें स्कूल बंद करना और निर्माण गतिविधियों पर रोक शामिल है, लेकिन बावजूद इसके प्रदूषण स्तर में सुधार नहीं आ पा रहा है।
कहां कितना है एक्यूआई?

नोएडा सेक्टर-125 में एक्यूआई 421, सेक्टर - 62 में एक्यूआई 348, सेक्टर 1 का एक्यूआई 395 और सेक्टर 116 का एक्यूआई 423 रहा। सेक्टर 125 की हवा सबसे अधिक प्रदूषित रही। ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई रहा।
ग्रेप का भी नहीं पड़ रहा कोई प्रभाव

यहां नॉलेज पार्क थर्ड का एक्यूआई 405 और नॉलेज पार्क फाइव का एक्यूआई 439 रहा। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) का तीसरा चरण चल रहा है। इसके बावजूद यहां न तो आम दिनों की तरह सड़क पर खुले आम निर्माण सामग्री पड़ी रहती है। केवल यही नहीं निर्माण का इससे अब विभिन्न साइटों पर निर्माण कार्य भी धड़ल्ले से चल रहे हैं।
वाहनों के संचालन में भी लापरवाही

बीएस तीन व चार मानक के ईंधन संचालित वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित होने के बावजूद भी चल रहे हैं। शनिवार को जगह-जगह ग्रेप के नियमों की धज्जियां उड़ती दिखी।
ये हैं बड़े कारण

प्रदूषण के स्तर को सुधारने के लिए हर साल प्रमुख विभागों जिनमें एमडीए, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, आरटीओ, ट्रैफिक, कृषि आदि पर हर साल जिम्मेदारी रहती है। लेकिन इसके बाद भी कई स्तर पर हर साल लापरवाही होती है।

  • कूड़ा जलाने पर रोक लेकिन जगह जगह कूड़ा है।
  • खुले में रोडी डस्ट बेचने और सड़क पर खुला रखने पर रोक लेकिन खुले आम दिख रही है।
  • फसलों के अवशेषों, पराली जलाने पर रोक लेकिन नहीं रुक पा रहा।
  • ईंट भट्ठों पर ईंधन के उपयोग पर निगरानी।
  • निर्माण कार्यो पर रोक लेकिन चल रहे हैंं।
  • पुराने वाहनों पर रोक, लेकिन चल रहे हैं।
  • औद्योगिक इकाइयों के संचालन पर निगरानी।
  • हाॅट मिक्स प्लांट व जेनरेटर के प्रयोग पर रोक।
  • पेड़ों के कटान पर रोक होने पर भी धड़लले से हो रही कटाई।

एक नजर समाधान पर (पर्यावरणविद् संजय नाबाद के अनुसार)

  • जगह-जगह पर पेड़ लगाने चाहिए और उनका संरक्षण भी करना चाहिए
  • व्यक्तिगत स्तर पर वाहन का कम उपयोग करें, सार्वजनिक परिवहन अपनाएं,
  • प्लास्टिक के बजाय कपड़े या कागज के थैलों का उपयोग करें
  • कचरा कूड़ेदान में डालें, और पटाखे न चलाएं।
  • घरों में भी, ऊर्जा का संरक्षण करें और वायु शुद्ध करने वाले पौधों का उपयोग करें।
  • गैस से चलने वाले उपकरणों का उपयोग करने से बचें।
  • फायरप्लेस और लकड़ी के स्टोव का उपयोग कम करें या समाप्त करें।
  • पत्तियों, सब्जियों और यार्ड कचरे को गीली घास या खाद में बदलें।
  • चिमनियों के लिए फिल्टर का प्रयोग करें, इससे हवा में अवशोषित हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।

क्या कहते हैं अधिकारी?


“लगातार कार्यवाही की जा रही है, निर्माण कार्यों को बंद करवा दिया गया है। टीम मौके पर पहुंच कर कंस्टर्कशन वर्क को बंद करवा रही है। चालान व उचित कार्यवाइ जारी है।“

-रितेश कुमार तिवारी, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण बोर्ड


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