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बम धमाकों से सहमी दिल्ली: वसीम बरेलवी ने अपनी शायरी में बयां कि‍ या आतंक का खौफ

LHC0088 2025-11-14 22:38:10 views 832
  

प्रख्‍यात शायर वसीम बरेलवी से मिलने पहुंचे सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखि‍लेश यादव



जागरण संवाददाता, बरेली। दूर तक हाथ में कोई पत्थर न था, फिर भी हम जाने क्यूं सर बचाते रहे... आखिर यह खौफ फिजा में क्यूं घुला। इस खौफ के साथ कब तक जिया जाएगा। उन बम बनाने वालों से बदकिस्मत और कौन है, जो जीने की जगह मौत का सामान तैयार कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दिल्ली में हुए बम धमाकों के विरोध में अंतरराष्ट्रीय शायर प्रो. वसीम बरेलवी का दर्द कुछ इस तरह छलका। उन्होंने कहा 10 नवंबर को दिल्ली में बम धमाके से पहले किसी ने नहीं सोचा होगा कि थोड़ी देर में यह स्थिति होने वाली है। जिंदगी आराम से चल रही थी, अचानक कई जिंदगियां खत्म हो गईं। बोले, समाज की इससे दयनीय स्थिति और क्या हो सकती है कि हर वक्त हम किसी खौफ के साये में जीते रहें। किसी हाथ में पत्थर न हो और हमें डर लगा रहे।

सारी राजनीतिक शक्तियों को इस तरह की फिजा को खत्म करने के लिए सोचना होगा। मुल्क में ऐसा माहौल बने कि ऐसा दिन कभी नहीं आए। हमारे विचारों की वजह से हिंदुस्तान पूरी दुनिया में पहचाना जाता था। उसी पर लौटे। आपसी सौहार्द बढ़े, प्यार बढ़े। तभी इस तरह के अंदेशे खत्म होंगे। उन्होंने कहा कि बम बनाने वालों से बढ़कर बदकिस्मत कोई हो ही नहीं सकता जो इंसानियत के भविष्य को अंधेरों की कलम से लिखने की नाकाम कोशिश में लगे हैं।

बोले, भगवान, खुदा, अल्लाह ने जो जिंदगी दी है, उसे वक्त से पहले खत्म कर देना दुनिया का सबसे बड़ा गुनाह है। यह उसकी बदकिस्मती है कि वह जीने की जगह मौत का सामान तैयार कर रहा है। गुरुवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव उनसे मिलने शहर के मुहल्ला गढ़ैया स्थित उनके आवास पर पहुंचे। राष्ट्रीय अध्यक्ष का स्वागत उन्होंने शायराने अंदाज में किया। बोले, ‘तुम आ गए हो तो कुछ चांदनी सी बातें हों, जमीं पर चांद कहां रोज-रोज उतरता है...’।

उन्‍होंने कहा, अखिलेश को अपनों से राजनीतिक संस्कार ही नहीं सामाजिक, वैचारिक संस्कार भी मिले हैं, तभी हमारा मान बढ़ाने हमारे घर चले आए। फिर कहते हैं, ‘सूरज की निगाह में कुछ जर्रे आ जाती हैं, तो जर्रे भी चमकने लगते हैं।’ अखिलेश यादव ने उनके घर पहुंचकर शाल पहनाकर उनका अभिनंदन किया। कहा, विश्व विख्यात शख्सियत से मिलना सम्मान की बात है। लंबे समय से मिलने की इच्छा थी।

  

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