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Pinaka Dhanush: कैसा था सीता स्वयंवर का पिनाक धनुष? जानिए इससे जुड़ी रोचक कथा

LHC0088 2025-11-14 18:36:29 views 1152
  

Pinaka Dhanush: पिनाक धनुष से जुड़ी कहानी।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सीता स्वयंवर का प्रसंग भारतीय महाकाव्य रामायण के सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है। इस स्वयंवर में जिस धनुष को उठाने और उसकी प्रत्यंचा चढ़ाने की शर्त रखी गई थी उसका नाम पिनाक था। पिनाक कोई साधारण धनुष नहीं, बल्कि स्वयं भगवान शिव का दिव्य और शक्तिशाली अस्त्र था, जिसे शिवधनुष (Pinaka Dhanush Story) के नाम से भी जाना जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

(AI Generetded)
पिनाक धनुष का स्वरूप और उत्पत्ति की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पिनाक धनुष (Lord Shiva Divine Bow) का निर्माण देव शिल्पी विश्वकर्मा ने एक दैवीय बांस से किया था। इसे भगवान शिव ने त्रिपुरासुर के संहार के लिए इस्तेमाल किया था। पिनाक धनुष इतना विशाल और वजनी था कि इसे उठाना साधारण मनुष्य के बस की बात नहीं थी। कहा जाता है कि इसका वजन और इसकी लंबाई भी एक औसत मनुष्य से काफी अधिक थी।

यह धनुष एक विशाल लोहे के संदूक में रखा जाता था, जिसे सभा में लाने के लिए भी सैकड़ों लोगों की जरूरत पड़ती थी। बाद में, भगवान शिव ने यह धनुष परशुराम जी को सौंप दिया था, और परशुराम ने इसे मिथिला के राजा जनक के पूर्वज देवरथ जी को दिया था।
स्वयंवर की रोचक कथा

ऐसा कहा जाता है कि बचपन में ही देवी सीता ने खेल-खेल में उस विशाल धनुष को उठा लेती थी, जिसे बड़े-बड़े योद्धा हिला भी नहीं सकते थे। तभी इस अद्भुत दृश्य को देखकर राजा जनक ने प्रण लिया था कि उनकी पुत्री का विवाह उसी वीर पुरुष से होगा, जो इस धनुष को उठाकर उसकी प्रत्यंचा चढ़ा सकेगा। जब सीता स्वयंवर (Sita Swayamvar Legend) हुआ तब उसमें दूर-दूर से अनेक पराक्रमी राजा और राजकुमार आए, लेकिन कोई भी इस धनुष को हिला तक नहीं सका।

सभी के प्रयास विफल होने पर राजा जनक बहुत दुखी हुए। तब, गुरु विश्वामित्र के कहने पर भगवान श्री राम ने इसपर प्रत्यंचा चढ़ाकर राजा जनक के प्रण को पूरा किया था।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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