गड़खा विधानसभा का इतिहास: जिसने लोगो के दिलों में जगह बनाई, वही पहुंचा सदन तक

LHC0088 2025-9-30 19:42:58 views 1258
  जिसने दिलों में जगह बनाई, वही पहुंचा सदन तक





संवाद सूत्र, गड़खा(सारण)। गड़खा विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास बड़ा ही रोचक रहा है। यहां मतदाताओं ने कभी दल और गठबंधन के दबाव में आकर निर्णय नहीं लिया, बल्कि जिसे अपने दिल में जगह दी, उसी को जिताकर सदन तक पहुंचाया। यही कारण है कि इस सीट पर कभी भी किसी दल का एकाधिकार नहीं रहा। कांग्रेस, एसएसपी, जनता पार्टी, राजद, बीजेपी और एनडीए सभी को यहां सफलता का स्वाद चखने का मौका मिला है। इतना ही नहीं, दो-दो बार निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी होकर विधानसभा पहुंचे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


आज़ादी के बाद की तस्वीर

1952 में यह क्षेत्र दो सदस्यीय विधानसभा सीट हुआ करती थी। उस समय प्रभुनाथ सिंह और जगलाल चौधरी चुने गए। 1957 में एसएसपी के रामजयपाल सिंह यादव ने कांग्रेस के विश्वनाथ मिश्र को हराया। लेकिन 1962 में कांग्रेस के शिवशंकर प्रसाद सिंह ने वापसी करते हुए विजय हासिल की।

1967 में गड़खा विधानसभा को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित किया गया। उस चुनाव में एसएसपी के विश्वनाथ भगत ने कांग्रेस के जगलाल चौधरी को हराया। 1969 में जगलाल चौधरी ने वापसी की और विश्वनाथ भगत को शिकस्त दी।


उतार-चढ़ाव और बदलते समीकरण

1972 में कांग्रेस के रघुनंदन मांझी विजयी हुए। 1977 के आपातकाल के बाद जनता पार्टी के मुनेश्वर चौधरी ने राजनीति की नई धारा के साथ चुनाव जीता। इसके बाद 1980 और 1985 में कांग्रेस ने वापसी की और रघुनंदन मांझी लगातार दो बार विजयी हुए।1990 में राजनीतिक हवा फिर बदली और मुनेश्वर चौधरी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की। 1995 में उन्होंने जनता दल से चुनाव जीता, 2000 में राजद से विजयी हुए और राज्य मंत्रिमंडल में जगह भी पाई।


पांच बार विधायक बने मुनेश्वर चौधरी

गड़खा विधानसभा का इतिहास अगर किसी नाम से सबसे अधिक जुड़ा है, तो वह है मुनेश्वर चौधरी। उन्होंने पांच बार यहां से जीत हासिल की। 2015 में वे महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते।
हाल के वर्षों का परिदृश्य

2005 और 2010 में एनडीए प्रत्याशी ज्ञानचंद मांझी लगातार विजयी रहे। लेकिन 2020 के चुनाव में राजद प्रत्याशी सुरेंद्र राम ने इस सीट पर कब्जा जमाया।


गड़खा विधानसभा चुनावी सफर
वर्ष विजेता प्रत्याशी पार्टी/गठबंधन

  • 1952 प्रभुनाथ सिंह, जगलाल चौधरी दो सदस्यीय सीट (कांग्रेस प्रभाव)
  • 1957 रामजयपाल सिंह यादव, एसएसपी
  • 1962 शिवशंकर प्रसाद सिंह, कांग्रेस
  • 1967 विश्वनाथ भगत ,एसएसपी
  • 1969 जगलाल चौधरी, कांग्रेस
  • 1972 रघुनंदन मांझी, कांग्रेस
  • 1977 मुनेश्वर चौधरी ,जनता पार्टी
  • 1980 रघुनंदन मांझी, कांग्रेस
  • 1985 रघुनंदन मांझी ,कांग्रेस
  • 1990 मुनेश्वर चौधरी, निर्दलीय
  • 1995 मुनेश्वर चौधरी ,जनता दल
  • 2000 मुनेश्वर चौधरी, राजद
  • 2005 ज्ञानचंद मांझी ,एनडीए
  • 2010 ज्ञानचंद मांझी, एनडीए
  • 2015 मुनेश्वर चौधरी, राजद (महागठबंधन)
  • 2020 सुरेंद्र राम, राजद
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