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कुल्लू में कचरा प्रबंधन पर NGT सख्त, हिमाचल सरकार को लगाई फटकार; मुख्य सचिव सहित ये अधिकारी बनाए प्रतिवादी

LHC0088 2025-11-13 20:08:04 views 1262
  

कुल्लू में कचरा प्रबंधन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने संज्ञान लिया है। जागरण आर्काइव  



जागरण संवाददाता, मंडी। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश सरकार को कुल्लू जिले में कचरा प्रबंधन की बदहाल स्थिति को लेकर कड़ी फटकार लगाई है। अधिकरण ने राज्य के मुख्य सचिव को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के पालन से संबंधित विस्तृत शपथपत्र दो माह के भीतर दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

वीरवार को यह सुनवाई न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डा. अफरोज अहमद की पीठ के समक्ष हुई। हिमाचल के महाधिवक्ता अनूप रतन ने तर्क दिया कि इस मामले में प्रदेश उच्च न्यायालय ने पहले ही स्वयं संज्ञान याचिका संख्या  36/2025 के रूप में सुनवाई शुरू कर दी है।

इस पर एनजीटी ने स्पष्ट किया कि पर्यावरणीय मामलों में दोनों संस्थाएं समानांतर रूप से कार्रवाई कर सकती हैं और यदि किसी आदेश में टकराव होता है, तो उच्च न्यायालय का आदेश प्रभावी रहेगा।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दो माह में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश

प्राधिकरण ने कुल्लू और कसोल में कचरे की भयावह स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए प्रतिवादी संख्या पांच (कचरा प्रबंधन के लिए उत्तरदायी निकाय) को निर्देश दिया कि वह जिला पर्यावरण समिति (जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त, कुल्लू करते हैं) से परामर्श कर वैकल्पिक प्रबंधन व्यवस्था तैयार करे। समिति को दो माह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है, जिसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 की प्रत्येक धारा (ए से जेड एक तक) के अनुपालन का विवरण सारणीबद्ध रूप में दिया जाए।
मुख्य सचिव सहित इन्हें बनाया प्रतिवादी

एनजीटी ने साथ ही हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव को प्रतिवादी संख्या छह, जबकि शहरी विकास और ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिवों को क्रमशः प्रतिवादी संख्या सात और आठ के रूप में मामले में शामिल किया है। प्राधिकरण ने निर्देश दिया कि मुख्य सचिव स्वयं या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी के माध्यम से यह रिपोर्ट दाखिल करें और राज्य में लागू जन विश्वास (संशोधन) अधिनियम 2023 के तहत पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में किए गए संशोधनों के अनुपालन का ब्योरा दें।
मुख्य सचिव सभी विभागों को निर्देश जारी करें

पीठ ने यह भी आदेश दिया कि मुख्य सचिव राज्य के सभी विभागों को निर्देश जारी करें, ताकि निर्णायक अधिकारी स्वयं संज्ञान लेकर पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने वाले सरकारी अधिकारियों या निजी पक्षों पर जुर्माना लगा सकें। मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी 2026 को तय की गई है। सभी संबंधित पक्षों को एक माह के भीतर अपने अतिरिक्त उत्तर दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं।

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