deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

बिकानेर के करणी माता मंदिर में लगाते हैं चूहों को भोग, दर्शन मात्र से होती हैं मुरादें पूरी

LHC0088 2025-9-30 18:02:40 views 810

  क्यों इतना खास है करणी माता मंदिर? (Picture Courtesy: Pinterest)





लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की धार्मिक परंपराएं अपनी अनोखी मान्यताओं और विविधताओं के लिए जानी जाती हैं। यहां हर मंदिर, हर तीर्थस्थल के पीछे कोई न कोई चमत्कारी कथा या परंपरा छिपी होती है। ऐसी ही कहानी राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता मंदिर (Karni Mata Temple) से भी जुड़ी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह मंदिर अपनी अनोखी मान्यता के कारण दुनियाभर में मशहूर है। आइए जानें क्या है इस मंदिर की खासियत और यहां पहुंचने का रास्ता।



  

(Picture Courtesy: Pinterest)
करणी माता कौन थीं?

करणी माता 14वीं शताब्दी की एक संत मानी जाती हैं, जिन्हें स्थानीय लोग देवी दुर्गा का अवतार मानते हैं। वे चारण जाति से थीं और तपस्विनी जीवन जीते हुए उन्होंने बीकानेर और जोधपुर के किलों की नींव रखवाई। करणी माता अपने चमत्कारों और आशीर्वाद के लिए मशहूर रहीं और आज भी उन्हें ‘मां’ के रूप में पूजा जाता है।


मंदिर की सबसे बड़ी खासियत- चूहे

इस मंदिर को दुनिया भर में चूहों का मंदिर कहा जाता है। यहां करीब 25,000 चूहे रहते हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में काबा कहा जाता है। ये चूहे मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से घूमते रहते हैं और इन्हें मां का रूप माना जाता है। सबसे खास बात यह है कि यहां चूहों को दिया गया प्रसाद बेहद पवित्र माना जाता है। भक्त बड़ी श्रद्धा से दूध और मिठाई इन चूहों को अर्पित करते हैं।



माना जाता है कि इनमें से सफेद चूहे खासतौर से पवित्र होते हैं, क्योंकि उन्हें करणी माता और उनके पुत्रों का अवतार समझा जाता है। यदि किसी श्रद्धालु को सफेद चूहा दिखाई दे जाए तो इसे सौभाग्य की निशानी माना जाता है। यहां किसी चूहे को गलती से भी मारना गंभीर पाप समझा जाता है और अगर गलती से यह पाप हो जाए, तो प्रायश्चित के लिए भक्त को उस चूहे की जगह सोने का चूहा चढ़ाना पड़ता है।

मंदिर में रोज सुबह मंगल आरती और भोग की परंपरा निभाई जाती है। यहां साल में दो बार करणी माता मेला आयोजित होता है- चैत्र और आश्विन नवरात्र के अवसर पर। इन मेलों में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।


करणी माता मंदिर से जुड़ी कथा

कहा जाता है कि करणी माता के सौतेले पुत्र लक्ष्मण की डूबने से मृत्यु हो गई थी। मां ने यमराज से प्रार्थना की कि वे उनके पुत्र को जीवित करें। शुरुआत में यमराज ने इनकार किया लेकिन बाद में उन्होंने करणी माता के आग्रह पर न केवल लक्ष्मण बल्कि उनके सभी वंशजों को चूहों के रूप में पुनर्जन्म देने का वरदान दिया। यही कारण है कि इस मंदिर में चूहों का खास महत्व है।


मंदिर की वास्तुकला

इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने 20वीं शताब्दी की शुरुआत में करवाया था। पूरी इमारत संगमरमर से बनी है और इसमें मुगल शैली की झलक दिखाई देती है। प्रवेश द्वार पर लगे चांदी के दरवाजों पर देवी से जुड़ी कथाएं उकेरी गई हैं। गर्भगृह में करणी माता की प्रतिमा त्रिशूल और मुकुट के साथ स्थापित है, जिसके दोनों ओर उनकी बहनों की मूर्तियां भी विराजमान हैं।


करणी माता मंदिर कैसे पहुंचें?

यह मंदिर बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित है। बीकानेर राजस्थान के प्रमुख शहरों से रेल और सड़क के रास्ते अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

  • रेलवे मार्ग से- देशनोक रेलवे स्टेशन मंदिर के बहुत पास है, वहीं बीकानेर जंक्शन प्रमुख स्टेशन है जहां से आप टैक्सी या बस के जरिए मंदिर पहुंच सकते हैं।
  • सड़क मार्ग से- बीकानेर से नियमित बसें और टैक्सियां देशनोक के लिए उपलब्ध रहती हैं।
  • हवाई मार्ग से- निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर है, जो बीकानेर से लगभग 250 किमी दूर है। वहां से आप ट्रेन या बस से मंदिर पहुंच सकते हैं।


यह भी पढ़ें: बिना दीया और बाती के जलती है इस मंदिर की अखंड ज्योति, इस नवरात्र जरूर करें ज्वाला देवी मंदिर के दर्शन



यह भी पढ़ें: कामाख्या मंदिर में बिना मूर्ति के होता है देवी पूजन, 51 शक्तिपीठों में से है एक; जरूर कर आएं दर्शन

Source:

Karni Mata Temple
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

Forum Veteran

Credits
71570