फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ली 65 लाख रुपये की पेंशन।
महेंद्र घणघस, नवांशहर। सामाजिक सुरक्षा विभाग की ओर से दी जाने वाली बुढ़ापा व अन्य पेंशनों में पूर्व की सरकारों में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ था। इसका उदाहरण 2017 में सैकड़ों लोगों के कागजात गलत पाए जाने पर सामने आया था। लंबी जांच प्रक्रिया के बाद साल 2020 में जिले के ऐसे 202 लोगों की पेंशन पूरी तरह बंद कर उनके खिलाफ रिकवरी के नोटिस जारी किए गए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इन लोगों ने फर्जी दस्तावेज दिखाकर करीब 65 लाख रुपये की पेंशन ले ली थी। हालांकि रिकवरी अब तक नहीं हो पाई, जबकि इनमें से कई लोगों की अब मौत हो चुकी है। शेष 75 के करीब बचे लोगों की सुनवाई जारी है।
दरअसल, पूर्व में व्यक्ति की आयु अगर डॉक्टर से तसदीक करवा कर 60 वर्ष दिखा दी जाती थी तो उसको पेंशन का पात्र मान लिया जाता था, बशर्ते उसकी बाकी की शर्तें पूरी होती हो। इसका लोगों ने जमकर लाभ उठाया। अन्य किसी आयु प्रमाण पत्र की जगह डॉक्टर से तसदीक शपथ पत्र देकर पेंशन लगवाने का सिलसिला लंबे समय तक चला।
सैकड़ों लोगों ने ऐसा ही किया और फर्जी दस्तावेजों पर पेंशन लगवा ली। इसके बाद विभाग द्वारा की गई जांच में ज्यादा केस इसी प्रकार के सामने आए। इसके अलावा ऐसे केस भी सामने आए हैं जो पेंशन शुरू होने के समय तो पात्र थे, पर बाद में उनकी जायदाद या अन्य आय का भी पता चला, जिसकी जानकारी विभाग को नहीं दी गई और अपात्र होने के बावजूद पेंशन लेते रहे।
विभागीय सूत्रों के अनुसार साल 2020 में जब ऐसे करीब 202 लोगों को रिकवरी के नोटिस जारी किए गए। सुनवाई शुरू हुई तो पता चला कि 202 लोगों में से सवा सौ से अधिक की तो मौत ही हो चुकी है। अब शेष 70 से 75 लोग ही जीवित हैं, जिनकी सुनवाई अभी चल रही है।
विभाग की ओर से सुनवाई के दौरान यह देखा जा रहा है कि व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कैसी है। अगर वह रिकवरी की राशि जमा करने की स्थिति में नहीं है तो उसके प्रति नरम रवैया अपनाया जा रहा है। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि फर्जीवाड़ा करके पेंशन लेने वाले लोग करीब 65 लाख रुपये की राशि को डकार गए।
इस मामले में डीसी अंकुरजीत सिंह ने कहा कि पेंशन के मामले में फर्जी दस्तावेजों पर पेंशन लेने वालों की सुनवाई हो रही है। अभी तक रिकवरी हुई नहीं है। आगे सरकार की ओर से कार्रवाई के लिए जो निर्देश होंगे उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। |