तुलसी निकेतन योजना के पुनर्विकास के लिए जीडीए के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के अधिकारी। सौ. जीडीए
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। गाजियाबाद के सबसे पुराने आवासीय परिसरों में शामिल तुलसी निकेतन योजना के व्यापक पुनर्विकास का रास्ता साफ हो गया है। बृहस्पतिवार को जीडीए और एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के बीच इस परियोजना के लिए समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हो गए हैं। इससे करीब 20 हजार से अधिक आबादी को राहत मिलेगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जीडीए उपाध्यक्ष नन्द किशोर कलाल ने बताया कि तुलसी निकेतन योजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। एनबीसीसी इस री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा करेगा। पहले चरण में समझौता हस्ताक्षर के बाद अब आठ सप्ताह में एनबीसीसी प्राधिकरण को प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपेगा, जिसमें परियोजना का क्रियान्वयन माडल का आंकलन होगा।
दूसरे चरण में शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर डीपीआर (विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की जाएगी। यह पीपीपी मॉडल पर विकसित होगा। भारत सरकार के उपक्रम एनबीसीसी को इस परियोजना का परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) नियुक्त किया गया है।
उन्होंने बताया कि पुनर्विकास की लागत न तो प्राधिकरण पर आएगी और न ही आवंटियों पर। यह कार्य पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) माडल पर क्रियान्वित किया जाएगा, जिससे निवासियों पर किसी प्रकार का आर्थिक भार नहीं पड़ेगा। इससे तुलसी निकेतन के निवासियों को सुरक्षित और आधुनिक आवास उपलब्ध मिल सकेंगे।
20 हजार लोगों को मिलेंगे आधुनिक आवास
जीडीए ने वर्ष 1989-90 में 7.83 हेक्टेयर भूमि पर तुलसी निकेतन योजना विकसित की थी, जिसमें 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआइजी सहित कुल 2,292 फ्लैट बनाए गए थे। साथ ही 60 दुकानें भी आवंटित की गईं थी। वर्तमान में यहां 20 हजार से अधिक लोग निवास करते हैं। योजना के 16 एकड़ क्षेत्र में निजी डवलपर्स के सहयोग से नई बहुमंजिला आवासीय इमारतें बनाई जाएंगी। |