Durga Ashtami 2025: मां महागौरी को कैसे प्रसन्न करें?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 30 सितंबर यानी आज शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में देवी मां महागौरी की भक्ति भाव से विशेष पूजा की जा रही है। वहीं, साधक अपने घरों पर भी देवी मां महागौरी की भक्ति और पूजा कर रहे हैं। साथ ही देवी मां महागौरी की कृपा पाने के लिए व्रत रख रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
धार्मिक मत है कि देवी मां महागौरी की पूजा करने से साधक को जीवन में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। साधक अष्टमी तिथि पर श्रद्धा भाव से मां महाौरी की पूजा करते हैं। अगर आप भी जीवन में देवी मां महागौरी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो महाअष्टमी पर श्रद्धा भाव से देवी मां जगदंबा की पूजा करें। साथ ही पूजा के अंत में ये आरती जरूर करें।
आरती अम्बा जी
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना,चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।patna-city--election,Patna City news, Gyanesh Kumar, Bihar CEO, Central Police Force, Vinod Singh Gunjial, District Magistrates,Bihar news
श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती,जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
मां पार्वती की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी, शुभफल की दाता।।
जय पार्वती माता...
अरिकुल पद्दं विनाशिनी, जय सेवक त्राता ।।
जगजीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता ।।
जय पार्वती माता...
सिंह को वाहन साजे, कुण्डल है साथा।
देब बंधु जस गावत, नृत्य करत ता था ।।
जय पार्वती माता...
सतयुग रूप शील अति सुन्दर, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता ।
जय पार्वती माता...
शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमाचल स्थाता।
सहस्त्र भुज तनु धारिके, चक्र लियो हाथा ।
जय पार्वती माता...
सृष्टिरूप तुही है जननी, शिवसंग रंगराता।
नन्दी भृंगी बीन लही है, हाथन मदमाता ।।
जय पार्वती माता...
देवन अरज करत, तव चित को लाता।
गावत दे दे ताली, मन में रंग राता ।।
जय पार्वती माता...
श्री कमल आरती मैया की, जो कोई गाता।
सदा सुखी नित रहता, सुख संपति पाता ।
जय पार्वती माता...
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