मिशन शक्ति 5.0 अभियान: बच्चों और उनके परिवार के साथ सेल्फी लेतीं आशा। स्वयं
जागरण संवाददाता, कानपुर। उत्तर प्रदेश में मिशन शक्ति 5.0 अभियान ने गांव-गांव में बदलाव की नई इबारत लिखनी शुरू कर दी है। सीएम योगी आदित्यनाथ के इस अभियान के तहत महिलाओं को मिल रहे प्रशिक्षण और संसाधनों ने न केवल उन्हें सशक्त बनाया है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन की मिसाल भी पेश की है। इसी मिशन शक्ति 5.0 से प्रेरित होकर फर्रुखाबाद की आशा रोल माडल बनी। उसने बच्चों की जिंदगी में उजाला भरा। उनकी तकदीर बदली। इससे लोगों में जागरूकता के साथ-साथ क्षेत्र की भी तस्वीर बदलती नजर आ रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रहे मिशन शक्ति 5.0 अभियान ने ग्रामीण समाज की तस्वीर बदलनी शुरू कर दी है। फर्रुखाबाद जिले के रतनपुर रम्हौआ ब्लाक राजेपुर गांव की आंगनबाड़ी कार्यकत्री आशा इसी बदलाव की एक प्रेरणादायक मिसाल हैं। उन्होंने अपने समर्पण, प्रशिक्षण और संसाधनों के बल पर दो कुपोषित बच्चों को नया जीवन दिया और पूरे गांव के लिए आदर्श बन गईं।
कुपोषण थी चुनौती
आशा के सामने चुनौती तब आई जब उन्होंने बृजेश कुमार और साधना देवी के जुड़वां बच्चों नाभ्या और सोहन को कुपोषण की चपेट में देखा। नाभ्या का वजन उम्र से काफी कम था और सोहन की लंबाई भी संतोषजनक नहीं थी। यह स्थिति बच्चों के भविष्य के लिए गंभीर खतरा थी। आशा ने इसे अपनी ड्यूटी भर नहीं माना, बल्कि बच्चों को स्वस्थ जीवन देने का संकल्प लिया।
Upcoming smartphones,October smartphone launch,Motorola Edge 60 Neo 5G,Vivo X300 Pro,Realme GT 8 Pro,Realme 15x 5G,OnePlus smartphone,Redmi smartphone,MediaTek Dimensity 9500,Snapdragon 8 Elite Gen 5
प्रशिक्षण और सरकारी सहयोग बना आधार
योगी सरकार के मिशन शक्ति और पोषण अभियान के तहत मिले विशेष प्रशिक्षण ने आशा को राह दिखाई। उन्होंने परिवार को पौष्टिक आहार की जानकारी दी नाभ्या की मां को हरी सब्जियां, दाल और घर का दलिया देने की सलाह दी, वहीं सोहन के पिता को प्रोटीन और कैल्शियम युक्त आहार की अहमियत समझाई। साथ ही परिवार को सरकारी अनुपूरक पोषाहार योजना और राष्ट्रीय पुनर्वास केंद्र (NRC) से जोड़ा।
हार नहीं मानी
आशा बताती हैं कि NRC में बच्चों को चिकित्सा देखभाल और माइक्रोन्यूट्रिशन मिला। कुछ ही दिनों में उनकी सेहत में सुधार दिखने लगा। आशा कहती हैं कि उन्होंने NRC से लौटने के बाद भी हार नहीं मानी। उन्होंने लगातार गृह भ्रमण, हर महीने वजन और लंबाई की जांच तथा पोषण संबंधी परामर्श जारी रखा।
छह महीने में मिली बड़ी सफलता
लगातार प्रयासों का असर छह महीने बाद साफ दिखा। नाभ्या का वजन सामान्य श्रेणी में आ गया और सोहन की लंबाई में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। बच्चों की मुस्कान और माता-पिता की खुशी ने आशा की मेहनत को सार्थक बना दिया। आशा ने कहा कि मैंने सोचा कि यह केवल मेरी जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इन बच्चों का भविष्य बचाने का अवसर है। मिशन शक्ति और पोषण अभियान से मिले प्रशिक्षण ने मुझे दिशा दी। जब मैंने नाभ्या और सोहन को स्वस्थ होते देखा, तो लगा कि मेरी मेहनत सफल रही। अब पूरे गांव के परिवार मुझसे पोषण संबंधी सलाह लेने आते हैं, यह मेरे लिए गर्व की बात है।
महिला शक्ति ने लिखी बदलाव की कहानी
आशा की मेहनत और काम के प्रति लगन ने न केवल दो बच्चों की जिंदगी बदली, बल्कि पूरे गांव को जागरूक किया। आज अन्य परिवार भी पोषण और स्वच्छता को गंभीरता से लेने लगे हैं। उनकी उपलब्धि साबित करती है कि जब महिला शक्ति को प्रशिक्षण और संसाधन मिलते हैं, तो वह समाज में गहरा बदलाव ला सकती है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मिशन शक्ति महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की राह दिखा रहा है। आशा जैसी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां इस मुहिम का चेहरा बनकर न केवल बच्चों का भविष्य संवार रही हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का जीता-जागता उदाहरण भी प्रस्तुत कर रही हैं।
यह भी पढ़ें- कानपुर के करोड़पति काननूगो, 30 करोड़ की 41 भू-संपत्तियां खरीदीं, 29 साल से एक ही जगह ड्यूटी
 |