एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड में फांसी की सजा पाए दो नक्सलियों की अपील पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की अदालत में एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड में फांसी की सजा पाए दो नक्सलियों की अपील पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना निर्णय लंबित रख लिया। इस मामले में तीसरे बेंच में सुनवाई हो रही है, क्योंकि खंडपीठ के दोनों जजों का अलग- अलग फैसला आने के बाद इसे तीसरे बेंच में सुनवाई के लिए भेजा गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
नक्सली सुखलाल मुर्मू की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र शंकर सिंह ने पक्ष रखा। पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड में दो नक्सलियों सुखलाल उर्फ प्रवीर मुर्मू एवं सनातन बास्की उर्फ ताला दा को दुमका की निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है।
हाई कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने दोनों की फांसी की सजा को बरकरार रखी थी
उनकी ओर से सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ में शामिल जस्टिस संजय प्रसाद ने दोनों की फांसी की सजा को बरकरार रखी थी। वही, जस्टिस आर मुखोपाध्याय ने दोनों को सजा से बरी कर दिया था।
जस्टिस संजय प्रसाद ने अपने आदेश में नक्सलियों हमले में शहीद तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार के परिजनों को दो करोड़ मुआवजा और पांच अन्य शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों को 50-50 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है।
इसके अलावा एसपी अमरजीत बलिहार के पुत्र या पुत्री को डिप्टी एसपी या डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त करने के साथ-साथ उन्हें उम्र सीमा में छूट देने का भी आदेश दिया था। जबकि अन्य पांच शहीद पुलिस के परिजनों को पुलिस विभाग में उनकी शिक्षा के अनुसार नियुक्त करने का आदेश दिया था।
बता दें कि वर्ष 2013 में पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार चुनाव को लेकर एक बैठक में शामिल होने के लिए दुमका गए थे। लौटने के क्रम में नक्सलियों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था।
नक्सलियों के हमले में तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार सहित छह पुलिसकर्मी बलिदान हो गए थे। एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड में दुमका कोर्ट ने दो नक्सलियों को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। |