जागरण संवाददाता, कानपुर। Delhi Blast: कानपुर शहर भी आतंकियों के निशाने पर रहा है। पिछले 30 सालों में हुई कई आतंकी घटनाओं से अपना शहर कई बार दहला है। एक दर्जन से ज्यादा लोगों की जान भी जा चुकी है। वर्ष 1995 से 2011 और 2016 व 2017 में तेजी से हुई आतंकी घटनाएं हुईं। हालांकि एटीएस और एनआइए कार्रवाई करते हुए अब कई आतंकियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अब एक बार फिर दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट में जिस डा. शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी हुई है। वह जैश की सफेदपोश में नेटवर्क में शामिल थी, जिसका शहर के जीएसवीएम मेडिकल कालेज से गहरा नाता रहा है। यहां रहकर उसने नौकरी की। उसकी गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसियां शहर से उसके कनेक्शन खंगालने में जुटी हैं।
जाजमऊ को बनाते थे ठिकाना
पिछले 30 सालों में आतंकी गतिविधियां व विस्फोट शहर की संवेदनशीलता को खुद बयां करती है। आतंकियों ने खुद को सुरक्षित करने के लिए पहले शहर के जाजमऊ को अपना ठिकाना बनाया हुआ था। यहां आतंकियों के कई परिवार बसे थे। वर्ष 1995 से लेकर 2011 तक कई विस्फोट हुए, जिसमें कइयों की जान जा चुकी है।
शहर में इस तरह सक्रिय रहे आतंकी संगठन
- घंटाघर चौराहे पर 1995 में साइकिल में रखे बमों में विस्फोट व 2001 में आर्य नगर चौराहे पर एक मकान में कुकर बम फटने के बाद शहर में आतंकी संगठनों के होने के संकेत मिल चुके थे।
- 2006 में रोशन नगर में हुए बम विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी। एटीएस ने बिठूर, सचेंडी और बाबूपुरवा से सात लोगों को गिरफ्तार भी किया था।
- चार मई 2011 में रावतपुर से किदवई नगर जाने वाले टेंपो में टिफिन बम मिला।
आतंकी ने मारी थी गोली
इन घटनाओं से ही शहर की संवेदनशीलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। यही, नहीं प्रतिबंधित आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े जाजमऊ के आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मो. फैसल ने जाजमऊ में 24 अक्टूबर 2016 में विष्णुपुरी के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रमेश बाबू शुक्ल को हाथ में कलावा व माथे पर लगे तिलक को देखकर गोली मारी थी। शुरू में तो पुलिस को इस हत्या का कारण रंजिश लगा था, लेकिन 2017 में भोपाल उज्जैन ट्रेन में विस्फोट में एनआइए ने जांच करते हुए दोनों आतंकी काे उठाकर पूछताछ की तो उन्होंने सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य की हत्या कबूली थी।
मिली थी फांसी की सजा
दो साल पहले ही आतिफ मुजफ्फर और मो. फैसल को फांसी की सजा हुई थी। वहीं, जाजमऊ का ही रहने वाला आतंकी सैफुल्ला आतंकी संंगठन आइएसआइएस के संपर्क में था। एटीएस ने उसे वर्ष 2017 में लखनऊ में ढेर किया था। इसके बाद जब भोपाल ट्रेन हादसे की जांच आगे बढ़ी तो सामने आया कि आइएसआइएस के 11 आतंकी ट्रेनों में बम धमाका करने की फिराक में थे। सात मार्च 2017 को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में जबड़ी रेलवे स्टेशन के पास हुए विस्फोट का मास्टर माइंड गौस मोहम्मद, मो. दानिश व आतिफ भी जाजमऊ के रहने वाले थे। सितंबर में सुजातगंज से आतंकी तौसीफ को भी लखनऊ एटीएस ने गिरफ्तार किया। वह पीरोड की एक फर्म में अकाउंटेंट था।
शहर में इससे पूर्व कई आतंकी पकड़े जा चुके हैं
- 11 सितंबर 2009 को आइएसआइ एजेंट इम्तियाज को सचेंडी से किया गया गिरफ्तार
- 27 सितंबर 2009 को बिठूर से आइएसआइ एजेंट वकास की गिरफ्तारी
- 18 सितंबर 2011 को रांची के आइएसआइ एजेंट फैसल रहमान को एटीएस ने पाकिस्तान को डाटा भेजने के आरोप में रेलबाजार से गिरफ्तार किया था।
- जुलाई 2012 में सेंट्रल स्टेशन से फिरोज नाम के संदिग्ध की गिरफ्तारी
- अप्रैल 2014 को पटना में विस्फोट करने वाले एक संदिग्ध को पनकी स्टेशन के पास से एटीएस ने पकड़ा
- मार्च 2017 में भोपाल में ट्रेन में ब्लास्ट करने वाले आतंकी गिरोह खुरासान माड्यूल के तीन आतंकी गिरफ्तार
- जनवरी 2020 को मुम्बई बम कांड के आरोपित डाक्टर जलीस अंसारी उर्फ डाक्टर बम गिरफ्तार
2006 से 2013 की घटनाओं के दस्तावेज खंगाल रही पुलिस
डा. शाहीन शाहिद सात साल तक कानपुर में रही। इस दौरान आतंक से जुड़ी कई घटनाएं हुईं और कई आतंकी पकड़े भी गए। पुलिस आयुक्त ने इस दौरान की घटनाएं और व्यक्तियों से संबंधित सभी फाइलें तलब कर लीं हैं। इनमें डाक्टर शाहीन की मिलीभगत तो नहीं है, इसकी जांच हो रही है। |