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हरियाणा में पूर्व सीबीआई जज सुधीर परमार समेत चार को राहत, करोड़ों की संपत्ति घोटाले में नियमित जमानत

Chikheang 2025-11-12 00:13:45 views 904

  

पूर्व सीबीआई स्पेशल जज सुधीर परमार।



जागरण संवाददाता, पंचकूला। हरियाणा के चर्चित न्यायिक भ्रष्टाचार प्रकरण में बड़ा मोड़ आया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने मंगलवार को पूर्व सीबीआई स्पेशल जज सुधीर परमार, उनके भतीजे अजय परमार, रियल एस्टेट कारोबारी रूप बंसल और ललित गोयल को नियमित जमानत प्रदान कर दी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अदालत ने पहले दी गई अंतरिम जमानत को स्थायी करते हुए सभी आरोपितों को राहत दी है। राज्य की ओर से लोक अभियोजक ने पैरवी की, जबकि सभी आरोपित अपने वकीलों के साथ अदालत में मौजूद रहे। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना कि जांच के दौरान आरोपितों ने जांच एजेंसी का पूरा सहयोग किया, इसलिए उनकी आगे हिरासत की आवश्यकता नहीं है।

अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के अमनप्रीत सिंह बनाम सीबीआई (2021) और सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई (2022) फैसलों का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत को नियमित जमानत में तब्दील किया। चारों आरोपितों को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और समान राशि के जमानती बांड पर रिहाई का आदेश दिया गया।

इस बीच अदालत ने यह भी पाया कि आरोपी अनिल भल्ला को भेजा गया नोटिस व्हाट्सएप पर प्राप्त होने के बावजूद वह उपस्थित नहीं हुआ। इस पर अदालत ने 2 दिसंबर के लिए नया नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
यह है पूरा मामला

पूर्व सीबीआई जज सुधीर परमार पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर रियल एस्टेट कंपनियों एम3एम, आईआरईओ और वाटिका समूह को न्यायिक राहतें दिलाने के बदले 7 से 8 करोड़ रुपये की संपत्तियां अपने और परिवार के नाम कराईं।

परमार ने नवंबर 2021 में पंचकूला में सीबीआई/ईडी जज का पद संभाला था और कुछ ही महीनों में गुरुग्राम में महंगे मकान, प्लाट और लग्जरी गाड़ियां खरीदीं। विजिलेंस रिपोर्ट के अनुसार, इन संपत्तियों की कीमत उनकी घोषित आय से कई गुना अधिक पाई गई।

रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि परमार ने अपने भतीजे अजय को एम3एम में कानूनी अधिकारी की नौकरी दिलवाई और उसकी सैलरी दो गुना कराई। एफआईआर में दर्ज है कि 12 अगस्त 2022 को परमार ने रूप बंसल के आवास पर जाकर लंबित मामलों पर चर्चा की थी — जो न्यायिक आचार संहिता का खुला उल्लंघन था।

ऑडियो क्लिप में भी परमार को ईडी अफसरों से बातचीत कर कुछ ज़मीनें जब्त न करने की कोशिश करते सुना गया था। अब अदालत से जमानत मिलने के बाद एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में आ गया है।
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