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चुनार रामलीला मंचन में स्वर्ण मृग देख मोहित हुईं सीता, रावण ने छल से किया हरण_deltin51

deltin33 2025-9-28 20:36:26 views 1256
  चुनार में सीता हरण प्रसंग का भावपूर्ण मंचन किया गया।





जागरण संवाददाता चुनार (मीरजापुर)। श्री राघवेंद्र रामलीला समिति चुनार के तत्वावधान में चल रही रामलीला के अंतर्गत शनिवार की रात सीता हरण प्रसंग का भावपूर्ण मंचन किया गया।

मंचन के दौरान पंचवटी में राम, सीता और लक्ष्मण का निवास, स्वर्ण मृग का प्रकट होना, सीता का मोह और उसके बाद घटित होने वाली घटनाओं को इतनी जीवंतता के साथ प्रस्तुत किया गया कि दर्शक भावुक हो उठे।

विशेषकर रावण की दमदार भूमिका निभाने वाले कलाकार गोविंद जायसवाल को दर्शकों ने खूब सराहा। सीता हरण के बाद उनका अट्टहास से कुछ पलों तक रामलीला मैदान गूंजता रहा। वहीं, सीता के वियोग में भगवान श्रीराम के विलाप के दृश्य ने वातावरण को मार्मिक बना दिया और श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



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रामलीला मंचन की शुरुआत पंचवटी के सुंदर दृश्य से हुई, जहां माता सीता स्वर्ण मृग को देखकर प्रसन्न हो उठती हैं और उसकी छाल लाने का आग्रह भगवान श्रीराम से करती हैं। आदेश मानकर भगवान राम स्वर्ण मृग का पीछा करते हुए वन में चले जाते हैं। तभी अवसर का लाभ उठाकर लंकापति रावण साधु के वेश में कुटिया पर आता है और माता सीता से भिक्षा मांगने का छल करता है।



जैसे ही सीता लक्ष्मण रेखा लांघती हैं, रावण उनका हरण कर पुष्पक विमान से लंका की ओर उड़ जाता है। इससे पहले मंचन में शूर्पणखा प्रसंग दिखाया गया, जिसमें वह अपने भाइयों खर और दूषण को भड़काती है। दोनों राम से युद्ध करने आते हैं किंतु युद्धभूमि में वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं। इसके बाद शूर्पणखा रावण को अपनी व्यथा सुनाकर सीता हरण के लिए उकसाती है।

रावण मारीच की मदद से षड्यंत्र रचता है और सीता हरण की योजना को मूर्त रूप देता है। मार्ग में जटायु रावण को रोकने का प्रयास करता है लेकिन रावण अपने पराक्रम से उसे घायल कर देता है। इसके बाद राम और लक्ष्मण द्वारा जटायु का अंतिम संस्कार करने का दृश्य अत्यंत हृदयस्पर्शी रहा। निर्देशक अविनाश अग्रवाल के मार्गदर्शन में चल रहे मंचन में कलाकारों का अभिनय इतना सजीव रहा कि दर्शकों ने बीच-बीच में तालियों की गड़गड़ाहट से उनकी सराहना की।



लीला के प्रत्येक दृश्य को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। मंचन के दौरान ध्वनि और प्रकाश व्यवस्था ने भी प्रभाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। समिति की ओर से व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रखी गई। अध्यक्ष लक्ष्मीकांत पांडेय, महामंत्री संजय साहू, अमित कुमार मिट्ठू, ब्रजनंदन कुशवाहा, रमाशंकर पांडेय, सोनू गुप्ता, पवन पांडेय, गौरीनाथ दीक्षित, अखिलेश मिश्र समेत सभी पदाधिकारी व सदस्य लगातार सक्रिय रहे।

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