डॉक्टर ने बताया रेगुलर रेटिना चेकअप क्यों है जरूरी (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हम अक्सर पूरे शरीर का हेल्थ चेकअप करवाना याद रखते हैं, लेकिन आंखों की जांच को नजरअंदाज कर देते हैं, खासकर रेटिना की जांच। बता दें, रेटिना हमारी आंख का बेहद नाजुक और जरूरी हिस्सा है, जो आंखों में आने वाली रोशनी को समझकर दिमाग तक पहुंचाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अगर रेटिना सही काम नहीं करता, तो साफ और स्पष्ट दिखाई देना मुश्किल हो जाता है। आइए, इस आर्टिकल में डॉ. निकिता गुप्ता (कंसलटेंट- ऑप्थैल्मोलॉजी, मैक्स मल्टी स्पेशियलिटी सेंटर, पंचशील पार्क) से जानते हैं कि क्यों जरूरी है रेगुलर रेटिना चेकअप।
रेटिना क्या है और क्यों है खास?
आंख के भीतर सबसे अंदर की परत ही रेटिना है। इसका बीच का हिस्सा मैक्युला (Macula) कहलाता है, जो हमें बारीक अक्षरों को पढ़ने, चेहरे पहचानने और साफ तस्वीरें देखने में मदद करता है। अगर यह हिस्सा प्रभावित हो जाए, तो नजर धुंधली होने लगती है।
कैसे होती है रेटिना की जांच?
रेटिना की जांच किसी सामान्य आई-टेस्ट जैसी नहीं होती। नेत्र विशेषज्ञ (Ophthalmologist) मशीनों की मदद से आंख को बारीकी से देखते हैं। इसके लिए विशेष ड्रॉप्स डाले जाते हैं जिससे पुतलियां चौड़ी हो जाती हैं और डॉक्टर पूरी रेटिना को अच्छे से टेस्ट कर पाते हैं।
किन लोगों को ज्यादा खतरा?
कुछ लोगों में रेटिना की समस्याएं जल्दी सामने आ सकती हैं। इनमें शामिल हैं:
- 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग
- डायबिटीज के मरीज
- हाई ब्लड प्रेशर वाले लोग
- और वो लोग जिनका नंबर बहुत ज्यादा (मायोपिया) है
रेटिनोपैथी से जूझ रहा हर 8 में से 1 भारतीय
भारत को अक्सर \“डायबिटीज कैपिटल\“ कहा जाता है। यहां हर आठ में से एक शुगर का मरीज रेटिना की बीमारी डायबिटिक रेटिनोपैथी से प्रभावित होता है। इसमें आंख की रगों को नुकसान पहुंचता है, खून या तरल जमा होने लगता है और धीरे-धीरे नजरिया कम हो जाता है।ind vs pak, ind vs pak 2025, asia cup 2025, asia cup final preview, india vs Pakistan, abhishek sharma, suryakumar Yadav, indian cricket team, pakistan cricket team, asia cup t20,
सबसे बड़ी समस्या यह है कि बहुत से लोग मान लेते हैं कि अगर उनकी शुगर कंट्रोल में है, तो आंखों को नुकसान नहीं होगा। यह गलतफहमी है। असल में, लंबे समय तक डायबिटीज रहना ही सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है।
देर से पहचान क्यों है खतरनाक?
रेटिना की बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरुआती दौर में दर्द भी नहीं होता। कई बार मैक्युला में सूजन, खून रिसाव या रेटिना का अलग हो जाना जैसी जटिल स्थितियां बन जाती हैं। हालांकि लेजर, इन्जेक्शन या सर्जरी जैसी तकनीकों से इलाज संभव है, लेकिन हर मरीज अपनी पुरानी आईसाइट वापस नहीं पा पाता। इसलिए समय रहते जांच और इलाज ही सबसे बेहतर उपाय है।
साल में एक बार कराएं रेटिना चेकअप
साल में एक बार रेटिना टेस्ट करवाना उतना ही जरूरी है, जितना बाकी हेल्थ चेकअप। इससे न सिर्फ आपकी आंखें लंबे समय तक सुरक्षित रहेंगी, बल्कि आप आत्मनिर्भर और एक्टिव लाइफ भी जी पाएंगे। इसलिए, अगली बार जब भी हेल्थ चेकअप का प्लान बनाएं, उसमें रेटिना जांच जरूर शामिल करें। यह छोटी-सी सावधानी भविष्य में आपकी नजरों को बचा सकती है।
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