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NHAI ने बिना अनुमति के ही रैयती जमीन पर बना दी सड़क, रांची डीसी करेंगे जांच_deltin51

deltin33 2025-9-28 13:36:01 views 838

  बिना मुआवजा के जमीन पर सड़क बनाने की जांच करेंगे रांची डीसी।





राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने रांची के उपायुक्त को आदिवासी बहुल इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) द्वारा बिना मुआवजा दिए जमीन पर सड़क बनाने के मामले की जांच का निर्देश दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अदालत ने इसकी जांच एक माह में पूरी करते हुए कोर्ट में सौंपने को कहा है। अदालत ने अपने आदेश में उपायुक्त को निर्देश दिया है कि वह स्वयं जाकर स्थल निरीक्षण करें, पीड़ित पक्षों के शिकायतों के निवारण का रास्ता सुझाएं ।



यह भी जांच करें कि क्या एनएचएआइ ने स्थानीय लोगों की जमीन हड़प कर सड़क निर्माण किया है। मामले में सुनवाई के दौरान रांची उपायुक्त की ओर से दुर्गा पूजा में कानून व्यवस्था में व्यस्त होने की बात कहते हुए जांच की अवधि बढ़ाने की मांग की गई।

अदालत ने उनके आग्रह को स्वीकार कर लिया। मामला बुंडू थाना क्षेत्र से संबंधित है, जहां एनएचएआइ की ओर से एनएच-33 के निर्माण में बिना मुआवजा दिए ही जमीन के उपयोग किए जाने का दावा किया जा रहा है।



अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यदि किसी रैयत की जमीन का उपयोग किया गया है, तो संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत मुआवजा देना राज्य का संवैधानिक दायित्व है।new-delhi-city-general,New Delhi City news,juvenile crime New Delhi,minor crime rate,delinquent kids,crime news,Delhi crime,New Delhi crime,juvenile offenders,crime victims,Delhi news   

अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि यह क्षेत्र पांचवीं अनुसूची (आदिवासी क्षेत्र) के अंतर्गत आता है, इसलिए उपायुक्त की भूमिका स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षक के रूप में है।

यह मामला तब और गंभीर हो गया जब एनएचएआइ ने राज्य द्वारा करवाई गई जमीन की मापी पर सवाल उठाए और दावा किया कि उनकी मौजूदगी के बिना यह प्रक्रिया हुई।



हालांकि, राज्य की ओर से दाखिल शपथ पत्र में यह बात स्वीकार की गई कि जमीन का उपयोग बिना उचित मुआवजा दिए किया गया है।

बता दें कि पिछले दिनों इस तरह के कई मामले कोर्ट के समक्ष आए और कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान एनएचआइए के प्रोजेक्ट निदेशक को कोर्ट में तलब करते हुए कड़ी फटकार भी लगाई थी।

कोर्ट ने कहा था कि किस कानूनी अधिकार के तहत एनएचएआइ किसी जमीन पर मिलने वाले मुआवजे पर आपत्ति जता सकती है।



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