न्याय की उम्मीद छोड़ चुके हैं नाबालिग अपराधी के हाथों अपनों को खोने वाले
आशीष गुप्ता, पूर्वी दिल्ली। देश की राजधानी में पढ़ने की उम्र में नाबालिग अपराध की दुनिया में कदम बढ़ा रहे हैं। चोरी, लूटपाट ही नहीं, लोगों का खून बहा रहे हैं। ऐसा करने में उनको जरा भी हिचक नहीं हो रही। कई नाबालिग अपराधी तो ऐसे हैं, जो बाल सुधार गृह जाकर भी नहीं सुधर रहे। वह वहां से बाहर आने के बाद अपराध के क्षेत्र में फिर से सक्रिय हो रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
न्यू सीलमपुर में 13 वर्षीय करण की हत्या इसका स्पष्ट उदाहरण है। यह समाज के लिए चिंता की बात है। जघन्य अपराधों में संलिप्त नाबालिगों को लेकर कानून लचर होने के कारण यह दुस्साहस बढ़ रहा है। नाबालिग अपराधियों के हाथों जिनके अपने मारे गए, वह कानून में बदलाव के जरिये सख्ती करने की मांग कर रहे हैं।
खुले में घूम रहे कुणाल के हत्यारोपितन्यू सीलमुर के 17 वर्षीय कुणाल की इसी वर्ष 17 अप्रैल को हत्या कर दी गई थी। इस वारदात में दो नाबालिग शामिल थे, जिन्हें पुलिस ने पकड़ा था। कुछ ही महीनों में वह बाल सुधार गृह से बाहर आ गए। अब वह खुली हवा में सांस ले रहे हैं।
यह स्थिति देख कर कुणाल के स्वजन का दम घुट रहा है। उसकी मां प्रवीन अब न्याय की उम्मीद छोड़ चुकी हैं। प्रवीन ने बताया कि जब से उनका बेटा दुनिया से गया, पूरा परिवार बिखर गया है। इस गम में कुणाल की दादी मालती देवी की करीब 25 दिन पहले मृत्यु हो गई। वह खुद और उनके पति राजबीर सिंह बीमार हैं।
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प्रवीन ने कहा कि इस दुनिया में न्याय की कोई जगह नहीं दिख रही। उनका प्रश्न है कि यह कैसा न्याय है। नाबालिग होने के कारण हत्यारोपितों पर सहनुभूति दिखाई जा रही है। न्यायपालिका को उन्हें अपराधी की दृष्टि से देखना चाहिए। कानून में सख्ती करनी चाहिए।
फैज का हत्यारोपित बाहर आकर फिर कर रहा अपराधजाफराबाद में 11 जुलाई 2024 को भाई व दोस्त के साथ कपड़े खरीद रहे 15 वर्षीय मोहम्मद फैज की दुकान से बाहर निकाल बीच बाजार में गोली मार कर हत्या कर दी थी। इस वारदात को नाबालिग शमिल था। उसे पुलिस ने पकड़ कर बाल सुधार गृह भेजा था। अब वह बाहर है। बालिग हो चुका है और हाल में उत्तर पूर्वी जिला पुलिस ने उसे एक अन्य अपराध के मामले में गिरफ्तार किया है।
आरोपित गैंग्स्टर बन चुका है। मृतक के पिता मोहम्मद गुफरान का कहना है कि यह न्यायोचित नहीं है कि हत्या जैसा गंभीर अपराध करने वाले को इस बात पर रहम दे दिया जाए कि वह नाबालिग है।
उन्होंने कहना है कि अब तक की स्थिति को देखते हुए इतना ही समझ आया कि बेटे को न्याय नहीं मिल पाएगा। आगे किसी के बच्चे के साथ ऐसा न हो, इसके लिए कानून में बदलाव कर गंभीर अपराधों में हर उम्र के नाबालिगों पर बालिग की तरह केस चलाए जाने का प्रविधानकिया जाना चाहिए।
अभी किशोर न्याय बोर्ड केवल 16 से 18 वर्ष के नाबालिग आरोपितों के मामले में बालिग की तरह केस चलाने की प्रार्थना पर विचार कर सकता है। लेकिन बदलते समय में कानून के इस प्रविधान में संशोधन की जरूरत महसूस होती है। नाबालिगों द्वारा अपराध बढ़ रहे हैं। इस पर अंकुश लगाना जरूरी है। हत्या, दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध में संलिप्त हर आयु के नाबालिग से सख्ती से निपटना चाहिए। अगर उसकी प्रवत्ति आपराधिक पाई जाती है। - रक्षपाल सिंह, अधिवक्ता
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