जागरण संवाददाता, एटा। पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। तीन दिन पूर्व वायु गुणवत्ता सूचकांक 150 था जो शुक्रवार को बढ़कर 171 तक जा पहुंचा। खासतौर पर सांस और अस्थमा के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा आंखों में जलन की शिकायत लेकर भी लोग नेत्र रोग चिकित्सकों के यहां पहुंच रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दीपावली के त्योहार के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के करीब पहुंच गया था, जो खतरनाक स्तर दर्शा रहा था। हालांकि उस समय वर्षा हो गई थी इस कारण एक्यूआइ में जल्दी सुधार आ गया। अब पिछले तीन दिन से प्रदूषण बढ़ रहा है। दो दिन तो धूप ही नहीं निकली, जबकि तीसरे दिन आसमान साफ रहा, मगर एक्यूआइ का आंकड़ा बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है।
इसके पीछे यह माना जा रहा है कि धान के खेतों में पड़ी पराली में आग लगाई जा रही है। वैसे भी दिन-रात खेतों से गाढ़ा धुआं उठता दिखाई दे रहा है। प्रशासन ने निगरानी के लिए सेटेलाइट सिस्टम की व्यवस्था की है और उससे निगरानी भी की जा रही है।
आधा दर्जन से अधिक मामले पकड़ में आए और किसानों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया, लेकिन पराली जलाने वाले किसानों की तादाद अधिक है।
इस वजह से अधिकांशत: किसान कार्रवाई की जद से बाहर हैं। उधर नेत्र रोग विशेषज्ञ ललित गुप्ता कहते हैं कि प्रदूषण के कारण आंखों में जलन की शिकायत होती है। इसके लिए चिकित्सक से सलाह लेकर आई ड्राप डाले जा सकते हैं।
तमाम मरीजों की शिकायत यह भी है कि उन्हें सांस लेने में थोड़ी तकलीफ हो रही है। मेडिकल कालेज के सीएमएस डा. एस चंद्रा का कहना है कि सांस के मरीजों को थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए इसके लिए मास्क लगाएं, जिससे प्रदूषण से बचाव होगा। चिकित्सक की सलाह निरंतर लेते रहें। |