कनीना निवासी रामप्रताप ने अपने खेत में 1000 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए हैं। जागरण
संवाद सहयोगी, कनीना। कनीना निवासी रामप्रताप ने अपने खेत में 1000 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए हैं। करीब 13 साल पहले शिक्षक के पद से सेवानिवृत्ति राम प्रताप ने करीब डेढ़ वर्ष पहले ड्रैगन फ्रूट के पौधे महाराष्ट्र से मंगवाए थे। 1000 पौधों पर करीब दो लाख रुपये की लागत नेट, पोल, तार एवं वाइंडिंग आदि पर आ चुकी है। अब इस वर्ष से उनके लगाए पौधे फल देने लगेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बता दें कि यह उनका नया प्रयोग करने का शौक है। पहले भी लंबी लौकी पैदा करके नाम कमा चुके हैं। अब ड्रैगन फ्रूट को फल देने योग्य बना दिया है। इस वर्ष से फल देने लग गए हैं।
सेवानिवृत्त शिक्षक ने बताया कि उनका पुत्र देवेंद्र सिमेंट कंपनी में एरिया मैनेजर है जिनकी गहन रुचि इस प्रकार के पौधों की होने के कारण वो इस प्रकार के पौधे मंगवाते रहते हैं। उन्होंने बताया कि इन पौधों को कोई पशु या पक्षी नुकसान नहीं पहुंचाता है। यहां तक के उनके फलों को भी पक्षी नहीं खाते। बाजार में उनके फलों की अच्छी मांग है।
एक फल 70 से 80 रुपये का बिक रहा है। उन्होंने बताया कि पानी की कम जरूरत होती है। शुष्क जलवायु का पौधा है जो कांटेदार होने के कारण पानी की कम आवश्यकता होती है परंतु देखरेख के लिए उनकी तार बाड़, पोल आदि की जरूरत होती है ताकि इनमें कोई जंतु इनमें न घुस सके।
पर्वों पर जैसे दीपावली, होली तथा विभिन्न विवाह शादियों में ड्रैगन फ्रूट की मांग होती है। उधर डीएचओ नारनौल डाॅ. प्रेम कुमार का कहना है कि अभी तक इन पौधों की किसी विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदन नहीं है तथा कोई सब्सिडी सरकार नहीं देती है।
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