राज्य ब्यूरो, जागरण। ग्रिड में खराबी से बिजली आपूर्ति ठप होने का खतरा बना रहता है। 2012 में उत्तरी ग्रिड फेल होने से दिल्ली में बिजली आपूर्ति ठप हो गई थी। वर्ष 2020 में मुंबई में भी इस तरह की समस्या हुई थी। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए दिल्ली में पावर आइलैंडिंग की व्यवस्था की गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके अंतर्गत उत्तरी ग्रिड फेल होने पर दादरी, झज्जर और दिल्ली के बिजली संयंत्रों से सीधे बिजली मिलेगी। इस व्यवस्था के बाद भी 400 केवी या 220 केवी के बिजली स्टेशन में खराबी आने से दिल्ली के कई हिस्से में बिजली आपूर्ति बाधित होती है। इसके समाधान के लिए लिए बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली को बढ़ावा देने की तैयारी है। इससे किसी क्षेत्र में आपात स्थिति में भी बिजली आपूर्ति होती रहेगी।
कई बार 400 केवी या 220 केवी के बिजली स्टेशन में खराबी आने से बिजली आपूर्ति बाधित हो जाती है। इससे उस क्षेत्र में स्थित अस्पताल व अन्य महत्वपूर्ण स्थानों में भी बिजली आपूर्ति की समस्या होती है। बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) से यह समस्या दूर हो सकती है। दक्षिणी दिल्ली के किलोकरी में 20 मेगावाट क्षमता की यह प्रणाली स्थापित की गई है।
इससे एक लाख उपभोक्ताओं को बिजली मिलती है। इसके सफल संचालन के बाद बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) ने मालवीय नगर, द्वारका, मटियाला और गोयला खुर्द में यह प्रणाली स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) ने बीआरपीएल को इसकी सैद्धांतिक मंजूरी दी है।
बिजली अधिकारियों का कहना है कि ग्रिड फेल होने पर बीईएसएस अपनी बैटरी प्रणाली से बिजली आपूर्ति को ग्रिड में तुरंत स्थानांतरित कर देता है। इससे निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करती है। ऊर्जा मंत्रालय ने 2023 में ऊर्जा भंडारण प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ढांचे को अधिसूचित किया है।
इसमें नवीकरणीय ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति, उत्सर्जन में कमी और ऊर्जा भंडारण प्रणाली को प्रोत्साहित करके ऊर्जा लागत में कमी लाना तथा जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली संयंत्रों पर निर्भरता कम करना शामिल है।
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