प्राॅपर्टी टैक्स रिकवरी के लिए निगम सपंत्तियों को कर रहा सील।
संदीप रतन, गुरुग्राम। साइबर सिटी के 6800 टैक्स डिफाॅल्टरों पर 1400 करोड़ रुपये का प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग के ऑनलाइन डेटा में यह संख्या दर्ज है। अब इसको लेकर नगर निगम गुरुग्राम की टैक्स विंग ने डिफाॅल्टरों का सत्यापन शुरू दिया है। किस डिफाल्टर पर कितनी बकाया राशि है और टैक्स का भुगतान कब से नहीं किया जा रहा है, इसकी जांच के लिए टीम लगाई गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
खास बात यह है कि निगम क्षेत्र के सात लाख प्राॅपर्टी मालिकों में आधे लोगों का रिकार्ड नगर निगम के पास नहीं है। 3.40 लाख प्राॅपर्टी मालिकों के नाम और मोबाइल नंबर आईडी में दर्ज ही नहीं है। नगर निगम की टैक्स विंग के कर्मचारी और अधिकारी इन प्राॅपर्टी मालिकों से न तो संपर्क कर पा रहे हैं और न इनसे वर्षों पुराने प्राॅपर्टी टैक्स की रिकवरी हो पा रही है।
इसका कारण यह है कि कई जगह पर खाली प्लाट पड़े हैं ताे कई मकान या फ्लैट में भी कोई नहीं रहता। कुछ प्राॅपर्टी मालिक विदेश में रहते हैं। नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार एक लाख 30 हजार प्राॅपर्टी मालिकों के नाम आईडी में दर्ज नहीं हैं, सिर्फ आईडी बनी हुई है। इसके अलावा 2 लाख 5 हजार प्राॅपर्टी मालिकों के मोबाइल नंबर आईडी के रिकार्ड में नहीं है।
गुरुग्राम में हैं सात लाख से ज्यादा संपत्तियां
- रिहायशी - 4,37,111
- व्यावसायिक - 92,457
- औद्योगिक - 6,561
- संस्थानिक - 4,408
- खाली प्लाॅट - 1,11,361
- विशेष श्रेणी - 6,138
- मिश्रित उपयोग - 34,136
- कृषि - 13,430
- कुल - 7,05602
पिछले वर्ष कम हुई थी रिकवरी
गुरुग्राम नगर नगर निगम में वर्ष की तुलना में यहां भी 16.37 करोड़ रुपये कम टैक्स मिला था। वित्त वर्ष 2023-24 में गुरुग्राम निगम में टैक्स की रिकवरी 278.49 करोड़ रुपये हुई थी, वहीं 2024-25 में यह घटकर 262.12 करोड़ रह गई।
नौ वर्षों में प्राॅपर्टी टैक्स से आय की स्थिति
- 2017-18 : 332
- 2018-19 : 207
- 2019-20 : 168
- 2020-21 : 225
- 2022-23 : 255
- 2023-24 : 278.49
- 2024-25 : 262.12
नोट: करोड़ रुपये में
खाली होते खजाने को मिलेगी संजीवनी
निगम को विज्ञापनों और प्राॅपर्टी टैक्स से आय बहुत कम मिल रही है। अगर बकाया करोड़ों रुपये के प्राॅपर्टी टैक्स की रिकवरी हो जाए तो खाली हो रहे खजाने को संजीवनी मिल सकती है।
निगम के खातों में सिर्फ 250 करोड़ रुपये ही बचे हैं और निगम का सालाना खर्च 900 करोड़ रुपये से ज्यादा है। कर्मचारियों का सालाना वेतन 264 करोड़ रुपये है। अगर निगम की आय नहीं बढ़ी तो आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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प्राॅपर्टी टैक्स डिफाॅल्टर के डेटा का सत्यापन किया जा रहा है। बड़े टैक्स डिफाॅल्टरों की संपत्तियों को सील करने की कार्रवाई की जा रही है।
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राजेश यादव, क्षेत्रीय कराधान अधिकारी (मुख्यालय) नगर निगम गुरुग्राम। |