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जंगलराज बनाम गुंडाराज: मोकामा की हत्या से सुलगा चुनावी समर, तेजस्वी का NDA पर निशाना

cy520520 4 day(s) ago views 906

  

तेजस्वी यादव।



राज्य ब्यूरो, पटना। मोकामा में बाहुबली नेता दुलारचंद की हत्या ने बिहार की सियासत को झकझोर दिया है। विधानसभा चुनाव के बीच हुई इस हत्या ने न केवल इलाके का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है, बल्कि चुनावी बहस को जंगलराज बनाम गुंडाराज की ओर मोड़ दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

महागठबंधन जहां इस घटना को एनडीए शासन की नाकामी और प्रशासनिक पतन बता रहा है, वहीं भाजपा-जदयू इसे पुराने जंगलराज की वापसी बताकर जवाबी हमला कर रहे हैं। इस राजनीतिक हत्या ने राजनीतिक दलों को एक-दूसरे पर हमला करने का मौका दे दिया है।

दुलारचंद बिहार की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसका कई दलों से सीधा संपर्क था। ऐसे में हत्या सिर्फ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि चुनावी समीकरण को प्रभावित करने वाली बड़ी राजनीतिक घटना बन गई है। घटना 30 अक्टूबर की है।

हालांकि, अब नई बात यह आ रही है कि उसे गोली नहीं मारी गई थी। बहरहाल यह अलग बहस का मुद्दा है। हकीकत यह है कि हत्याकांड के बाद महागठबंधन ने इसे मुद्दा बनाकर एनडीए सरकार पर सीधा हमलावर है।

राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, लोकतंत्र में विचारधारा और जनहित के मुद्दों की लड़ाई होती है। बमबारी और गोलीबारी की नहीं। उन्होंने एनडीए पर कटाक्ष करते हुए कहा सत्ता संपोषित दुर्दांत अपराधी एनडीए के महाजंगलराज में बाहर घूमकर तांडव मचा रहे है। अपराध के लिए कुख्यात मोकामा में सत्ता संरक्षित गुंडों ने एक सामाजिक कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या कर दी।

वहीं, वीआईपी नेता मुकेश सहनी ने कहा कि मोकमा में सामाजिक कार्यकर्ता दुलारचंद की निर्मम हत्या ने साबित कर दिया है कि बिहार में राक्षसराज का दौर चल रहा है। बिहार कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा कि मोकामा में कल हत्या, आज शव यात्रा में गोलीबारी, ये है बिहार में कानून व्यवस्था की सच्चाई।

दूसरी ओर, भाजपा-जदयू गठबंधन ने इस मुद्दे पर पलटवार किया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि आरजेडी के लोग बदले नहीं है। इनके डीएनए में गुंडागर्दी करना, जंगलराज फैलाना और अपहरण उद्योग फैलाना है। जनसुराज नेता प्रशांत किशोर ने कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए और जिस बिहार में जंगलराज की बात होती थी, चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा होती है ये हत्या वही दर्शाती है।

बहरहाल बयानों के बीच यह चर्चा आम हो चली है कि दोनों गठबंधन इस पर आरोप-प्रत्यारोप का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देंगे। घटना को चुनाव में भी बढ़ाचढ़ा कर पेश किया जाएगा।

महागठबंधन इसे सत्ता के अहंकार और सुरक्षा तंत्र की विफलता के रूप में पेश करेगा जबकि एनडीए के लिए यह चुनौती है कि वह इस नैरेटिव को बदल सके। विशेष रूप से उस इलाके में जहां जातीय और प्रभाव आधारित राजनीति का असर गहरा दिखता है।
मोकामा हत्याकांड में आयोग ने लिया संज्ञान, डीजीपी से मांगी रिपोर्ट

मोकामा में हुए चुनावी हिंसा को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को संज्ञान लिया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने बिहार के डीजीपी विनय कुमार से इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट की मांग की है। आयोग ने बिहार के शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई वीसी में भी इसकी चर्चा की। शीघ्र घटना का जांच कराने का निर्देश दिया है।

यह माना जा रहा है कि पुलिस प्रशासन की रिपोर्ट के उपरांत आयोग द्वारा कोई कदम उठाया जाए। मोकामा विधानसभा चुनाव पहले चरण में होना है। ऐसे में वहां हुई चुनावी हिंसा ने सबका ध्यान आकृष्ट किया है। उल्लेखनीय है कि 30 अक्टूबर को चुनाव प्रचार के दौरान जनसुराज पार्टी से जुड़े प्रत्याशी के एक समर्थक की हत्या कर दी गई थी।
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