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Jharkhand Liquor scam: आइएएस विनय कुमार चौबे के भ्रष्टाचार मामले में नया खुलासा, कालेधन से उनकी पत्नी और साले ने 80 लाख रुपये से अधिक मूल्य का खरीदा फ्लैट

deltin33 4 day(s) ago views 1026

  

निलंबित आइएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे की मुश्किलें अभी और बढ़ेंगी।  



राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में शराब व जमीन घोटाला मामले के आरोपित निलंबित आइएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे की मुश्किलें अभी और बढ़ेंगी। विनय कुमार चौबे अभी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज केस में न्यायिक हिरासत में हैं। उनके विरुद्ध जांच में एसीबी ने बड़ा खुलासा किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

निलंबित आइएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे की पत्नी स्वप्ना संचिता व उनके भाई शिपिज त्रिवेदी से जुड़ी कंपनी ब्रह्मास्त्र एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड जांच के दौरान एक शेल कंपनी के रूप में पाई गई है।

2009 में बनाई गई शिक्षा के नाम पर एक कागजी कंपनी के रूप में मनी लांड्रिंग के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है। इसके माध्यम से कालेधन को सफेद बनाया गया। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि इस कंपनी ने रांची में 80 लाख रुपये से अधिक मूल्य का आवासीय फ्लैट खरीदा है।

इस खरीद के लिए न तो किसी बैंक ऋण का उल्लेख किया गया है और न हीं कोई वैध आंतरिक पूंजी दिखाई गई है। रिकार्ड में किसी भी प्रकार का चार्ज या गारंटी नहीं है। वित्तीय वर्ष 2015-16 के बैलेंस शीट में यह संपत्ति दर्ज नहीं की गई। केवल नाममात्र राशि दिखाई गई।

संपत्ति की खरीद अघोषित फंड से की गई है। कागजी कंपनी का उपयोग बेनामी स्वामित्व के लिए किया गया। अब एसीबी ने संदेह जताया है कि पूरा मामला मनी लांड्रिंग का है। ऐसी स्थिति में जल्द ही ईडी की भी इस केस में एंट्री होगी। ईडी नया केस दर्ज कर सकती है।  
आवासीय फ्लैट को कंपनी ने अपना मुख्य कार्यालय बताया, जीएसटी रजिस्ट्रेशन में भी दिखाया

एसीबी की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि काले धन से खरीदे गए आवासीय फ्लैट को निलंबित आइएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे की पत्नी स्वप्ना संचिता व साले शिपिज त्रिवेदी ने अपनी मुखौटा कंपनी ब्रह्मास्त्र एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड का मुख्य कार्यालय बताया है।

जीएसटी पंजीयन में भी इसका जिक्र किया है। जबकि, वहां पर किसी प्रकार की शैक्षणिक या व्यावसायिक गतिविधि का प्रमाण नहीं मिला। वर्ष 2018 के बाद कंपनी की आय लगभग शून्य रही।

इस कंपनी में न कोई स्टाफ है, न कोई संस्था जुड़ी है और न ही कोई सेवा से आय है। इससे यह साबित हुआ है कि ब्रह्मास्त्र एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड का उपयोग केवल शिक्षा के नाम पर पैसे के लेनदेन को वैध दिखाने के लिए एक आवरण के रूप में किया गया।

मुखौटा कंपनी में छह साल में लाखों रुपये आए, लाभार्थी का कोई विवरण नहीं मिला

मुखौटा कंपनी ब्रह्मास्त्र एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के खाते में वित्तीय वर्ष 2017-2023 के बीच शर्ट टर्म एडवांस के नाम पर कई लाख रुपये आए। इसके बावजूद लाभर्थियों का कोई विवरण एसीबी की जांच में नहीं मिला है।

जांच में एसीबी को जानकारी मिली है कि ये राशि फंड रूटिंग, लेयरिंग या एडजस्टमेंट एंट्रीज हैं। यह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि मनी लांड्रिंग के लिए इस कंपनी का इस्तेमाल किया गया है। जांच में पता चला है कि कंपनी का रिजर्व व सरप्लस प्रारंभिक वर्षों में नगण्य था, लेकिन बाद में यह कई लाख रुपये तक बढ़ गया।

कंपनी ने किसी वर्ष में लाभ नहीं दिखाया। कंपनी में बाहरी स्रोतों से धन डाला गया व उसे रिजर्व के रूप में दिखाकर पूंजी वैध बनाइ गई। यहां काले धन को सफेद बनाने की कोशिश की गई है। वर्ष 2015-17 के बीच कंपनी के खातों में बड़ी राशि के चालू निवेश दिखे।

ये कुछ ही समय में गायब हो गए। स्रोत की भी जानकारी स्पष्ट नहीं है। वर्ष 2017 के बाद कंपनी की आय में तेजी से गिरावट आई, लेकिन नकदी ऊंचे स्तर पर बनी रही। ये धन के गैर व्यावसायिक व मनी मूवमेंट का संकेत देती है।
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