खराब हो रही गोपालगंज की आबोहवा, शहर का AQI 100 के पार, अस्थमा मरीजों की बढ़ी मुसीबत

cy520520 2025-10-29 17:07:25 views 455
  

गोपालगंज शहर की हवा में जहर घोल रहे धूल व धुआं। फोटो जागरण



जागरण संवाददाता, गोपालगंज। धूल व धुआं के कारण जिले में फिर से एक्यूआइ लेवल बढ़ने लगा है। बरसात के दौरान वातावरण पूरी तरह से स्वच्छ हो चुका था। नतीजतन एयर क्वालिटी इंडेक्स 40 से 50 के आसपास आ गया था। सितंबर तक यह कंट्रोल में थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इधर बरसात बीतने, हल्की ठंड के दस्तक व सड़कों पर ट्रैफिक लोड बढ़ने के साथ ही हवा में प्रदूषण घुलने लगा है। ऐसी स्थिति में अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है।

जानकारों की मानें तो एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर बढ़कर 100 के स्तर को पार कर गया है। अगर समय रहते नहीं चेते तो वातावरण में प्रदूषण और बढ़ सकता है। इसका कारण बरसात बीतने के बाद धूप खिलना तथा धरती से नमी कम होने के कारण सड़कों पर धूल उड़ना है।

बेतरतीब विकास के लिए खोदी गई सड़कों से उड़ती धूल और वाहनों से निकलने वाला धुआं शहर की आबोहवा को खराब करने का सबसे बड़ा कारण है। धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएं की वजह से शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार खराब चल रहा है।

शहर के बीचोबीच से गुजर रही एनएच 27 से आते-जाते वाहनों के कारण उड़ती धूल इस इलाके की एयर क्वालिटी खराब होने का बड़ा कारण है। इसके अलावा धुआं, पराली जलाने, आग, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जित कार्बनिक तत्व, टूटी सड़कों से उड़ने वाली धूल से जिले की आबोहवा खराब हो रही है।
टूटी सड़कों से उड़ती धूल से दूषित हो रहा वातावरण

सबसे ज्यादा दिक्कत टूटी सड़कों से उडने वाली धूल तथा वाहनों से उत्सर्जित कार्बन की वजह से वातावरण दूषित होता है। इसके अलावा अन्य कई छोटे तत्व रहते हैं, जिनकी वजह से एक्यूआइ बढ़ जाता है।

जिले में दीपावली पर शहर का एक्यूआइ 260 के करीब पहुंच गया था, लेकिन अगले कुछ दिनों में इसमें कमी आयी है। वर्तमान समय में यह 110 के आसपास बना हुआ है।
जानिए एक्यूआइ स्तर

स्टेज एक - एक्यूआइ स्तर 0 से 50 बहुत अच्छा
स्टेज दो - एक्यूआइ स्तर 51 से 100 सहनशील
स्टेज तीन - एक्यूआइ स्तर 101 से 150 बीमार लोगों के लिए खराब
स्टेज चार - एक्यूआइ स्तर 151 से 200 सभी लोगों के लिए खराब
स्टेज पांच - एक्यूआइ स्तर 201 से 300 तक बेहद खराब
स्टेज छह- एक्यूआइ 301 से 400 तक खतरनाक स्तर


कहते हैं पर्यावरण के जानकार




वातावरण में कई तरह के हानिकारक कण होते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं। सबसे ज्यादा खतरनाक कण 2.5 एमएम पार्टीकुलेट मैटर होता है, जो एक बार हवा में पहुंच जाता है तो फिर खुद जमीन पर नहीं आता है। इससे स्मोग के साथ ही धुंध छाए रहने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा 10 एमएम पार्टीकुलेट एवं अन्य तत्व मिलकर हवा की सेहत खराब करते हैं।- डा. मदन मोहन, पर्यावरणविद




कहते हैं चिकित्सक




धूल और धुएं से दिल को सबसे अधिक खतरा रहता है। धूल व धुआं के कारण आंख, नाक, कान से धूल शरीर में भर जाती है। कई दिनों तक आंखों में नमी कम हो जाती है और सांस भारी सी लगती है। नींद का चक्र पूरा नहीं होता जिससे दिल के लिए खतरा बढ़ जाता है। - डॉ. सुनील रंजन
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