deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Diwali 2025: प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक, मां लक्ष्मी की प्रतिमा के स्वरूप में आए ये खास बदलाव

cy520520 7 day(s) ago views 598

  

Maa Lakshmi: मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें?



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में दीवाली का त्योहार उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर प्रदोष काल में देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जा रही है। प्रदोष काल का समय शाम 5 बजकर 46 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक है। वहीं, वृषभ काल रात 9 बजकर 3 मिनट तक है। इसके साथ ही निशिता काल में भी लक्ष्मी गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दौरान देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

धार्मिक मत है कि दीवाली की रात लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही आर्थिक विषमता दूर होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि दीवाली की रात देवी मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कैसे समय के साथ देवी मां लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर में परिवर्तन हुआ है? आइए जानते हैं-
मां लक्ष्मी का स्वरूप

  • सनातन शास्त्रों में निहित है देवी मां लक्ष्मी चार भुजाधारी हैं। देवी मां लक्ष्मी कमल पर आसीन हैं। मां के हाथ में कमल है। एक हाथ दान और एक हाथ वर मुद्रा में है। मां लक्ष्मी अपनी कृपा साधक पर बरसती है। मां लक्ष्मी का घर में वास होने से दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है। कार्तिक अमावस्या और शुक्रवार का दिन देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
  • गांधार शैली के सिक्कों में देवी मां लक्ष्मी कमल पर खड़ी दिखती हैं। उनके दोनों हाथों में गज हैं। आसान शब्दों में कहें तो गांधार शैली में मां लक्ष्मी को कमल के फूल पर खड़ा दिखाया गया है। वहीं, उनके हस्त में गज हैं। इसके लिए उन्हें गजलक्ष्मी भी कहा जाता है।
  • इसी प्रकार, शक नरेश अज़िलिसेस के काल में भी देवी मां लक्ष्मी कमल पर आसीन हैं। इस मुद्रा में भी मां खड़ी हैं। तत्कालीन समय में अयोध्या और उज्जैन में भी चांदी के सिक्कों में मां लक्ष्मी कमल पर खड़ी दिख रही हैं।
  • तंजौर पेंटिंग में देवी मां गज के साथ किसी आसन (गद्दी) पर विराजमान नजर आती हैं। दक्षिण भारत में देवी मां लक्ष्मी गद्दी या ऊंचे आसन पर विराजमान दिखती हैं।
  • पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के अगले दिन देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसमें देवी मां लक्ष्मी उल्लू के साथ नजर आती हैं। क्रोमोलिथोग्राफ, कलकत्ता आर्ट स्टूडियो ने भी देवी मां लक्ष्मी को उल्लू के साथ दिखाया है।
  • इतिहास के पन्नों को पलटने से पता चलता है कि 19 वीं शताब्दी में राजा रवि वर्मा के ओलियोग्राफी में देवी मां लक्ष्मी एक नदी के बीच में कमल पर विराजमान (खड़ी) हैं। वहीं, देवी मां लक्ष्मी के चारों ओर जीव जंतु हैं और पीछे पहाड़ है।


यह भी पढ़ें- Diwali 2025: दीवाली से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन, धन से भर जाएगी तिजोरी

यह भी पढ़ें- Diwali 2025: दीवाली पर शिववास योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

No more related threads

cy520520

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

610K

Credits

Forum Veteran

Credits
66995
Random