खिलाड़ियों को खर्च की प्रतिपूर्ति न करने पर हाईकोर्ट की हरियाणा सरकार को फटकार (प्रतीकात्मक फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा पावर यूटिलिटीज के रवैये पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को खर्च की प्रतिपूर्ति से वंचित करना उनकी “मनमानी सोच” को दर्शाता है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह मामला “दृष्टि और क्रियान्वयन के बीच की गहरी खाई” को उजागर करता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हाई कोर्ट ने कहा कि जहां एक ओर राज्य और केंद्र सरकार खेलो इंडिया और फिट इंडिया मूवमेंट जैसी योजनाओं से खेलों को प्रोत्साहन देने के बड़े दावे करती हैं, वहीं खिलाड़ियों को जमीनी स्तर पर सहयोग नहीं मिल पाता। कोर्ट ने कहा कि हम बड़े खिलाड़ियों की उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं, लेकिन आम खिलाड़ियों के लिए तंत्र का समर्थन अक्सर नदारद रहता है।
हाई कोर्ट के जस्टिस हरप्रीत सिंह ब्राड ने यह टिप्पणी कनवलदीप और अन्य खिलाड़ियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। इन खिलाड़ियों ने जर्मनी के मैनहाइम में 5 से 8 सितंबर 2024 तक आयोजित इंटरनेशनल टग आफ वार वर्ल्ड आउटडोर चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।bhubanehwar-general,Odisha Maize Mission,Maize production Odisha,Agriculture workshop Odisha,FPC agreement Odisha,Nabarangpur starch plant,Ethanol blending policy maize,Sweet corn cultivation Odisha,Baby corn farming Odisha,ORMAS CEO Rathore,Maize market aggregation,Odisha news
याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि उन्हें प्रति खिलाड़ी 3.13 लाख रुपये यात्रा भत्ता ब्याज सहित दिया जाए।याचिका में बताया गया कि हरियाणा पावर स्पोर्ट्स ग्रुप ने 15 जुलाई 2024 को पत्र जारी कर प्रत्येक खिलाड़ी को 3.13 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की थी। लेकिन कमेटी में बदलाव होने के बाद 31 अगस्त 2024 को नया आदेश जारी कर खिलाड़ियों की भागीदारी तो मंजूर कर दी गई, मगर यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि किसी भी प्रकार का खर्च पावर यूटिलिटीज नहीं वहन करेगी।
कोर्ट ने कहा कि खिलाड़ियों का जीवन अनुशासन, संघर्ष और अनिश्चितताओं से भरा होता है। वर्षों की मेहनत और समर्पण के बावजूद उन्हें अवसर और सुविधाएं मिलना सुनिश्चित नहीं होता। खेल क्षेत्र में हर खिलाड़ी का सफर कठिनाइयों से भरा होता है और यह व्यापक तंत्र की जिम्मेदारी है कि उन्हें सहयोग और मार्गदर्शन मिले।
हाईकोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि दो माह के भीतर खिलाड़ियों की मांग पर विचार कर निर्णय उन्हें सूचित करें। यदि याचिकाकर्ता राहत पाने के हकदार पाए जाते हैं तो भुगतान तुरंत किया जाए। अदालत ने यह भी उम्मीद जताई कि हरियाणा पावर यूटिलिटीज भविष्य में खिलाड़ियों को मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करने की दिशा में सकारात्मक रवैया अपनाएगी।
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