राज्य ब्यूरो, लखनऊ। वित्तीय वर्ष खत्म होने में कुछ माह का समय बचा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग आवंटित बजट का लगभग 56 प्रतिशत खर्च नहीं कर पाया है। स्वास्थ्य विभाग को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कुल 33019.56 करोड़ रुपये बजट का प्राविधान किया गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्थिति ये है कि इसमें 24831.98 करोड़ रुपये की स्वीकृतियां जारी की जा चुकी हैं, लेकिन मात्र 7508.74 करोड़ रुपये ही खर्च किया गया है। जो कि कुल बजट का लगभग 44 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं पर नजर डालें तो राज्य कर्मचारी कैशलेस योजना के बजट में 150 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया था। इसमें से मात्र 50 करोड़ रुपये ही खर्च हुआ है, जो कि बजट का कुल 33 प्रतिशत है। इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवा के संचालन के लिए दिए गए 155 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए हैं।
स्वास्थ्य और खाद्य एवं औषधि नियंत्रण के मद में 1080.84 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया था। इसमें से भी मात्र 343.58 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जो कि केवल 31.79 प्रतिशत ही है। आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए दिए गए 300 करोड़ रुपये में से 160 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए हैं।
जिला-संयुक्त चिकित्सालयों के लिए उपकरणों की खरीद दिए गए 30 करोड़ रुपये भी खर्च नहीं हो पाए हैं। ग्रामीण चिकित्सालयों में अग्निशमन यंत्रों की व्यवस्था के लिए दिए गए 30 करोड़ रुपये में से 16.10 करोड़ रुपये का ही इस्तेमाल हुआ है। 53.68 प्रतिशत बजट बचा हुआ है।
सिर्फ पैथोलाजी के उपकरणों के संचालन के लिए रिएजेंट खरीद के मद में जारी 150 करोड़ रुपये में से 72.88 प्रतिशत का इस्तेमाल किया गया है। इसमें 109.32 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
योजनाओं को समय रहते पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। पूंजीगत व्यय की सघन निगरानी की जा रही है। जिससे समय रहते बजट का इस्तेमाल किया जा सके।
-अमित कुमार घोष, अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य |