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Shardiya Navratri 2025: कब और कैसे किया जाता है बिल्व निमंत्रण? जानिए इसका महत्व_deltin51

Chikheang 2025-9-26 23:37:26 views 1027

  Shardiya Navratri 2025: बिल्व निमंत्रण से करें शुभ शुरुआत।





दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। शारदीय नवरात्रि माता दुर्गा की शक्ति, भक्ति और आशीर्वाद का पवित्र पर्व है, जिसे पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिन का पर्व न केवल देवी के नौ रूपों की आराधना का अवसर है, बल्कि घर-परिवार में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा भरने का समय भी है। इस पवित्र उत्सव की आध्यात्मिक शुरुआत बिल्व निमंत्रण से होती है, जिसे दुर्गा पूजा का पहला और अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



इस वर्ष बिल्व निमंत्रण शारदीय नवरात्रि की षष्ठी तिथि, यानी 27 सितंबर को पड़ रहा है। इसी दिन देवी मां को धरती पर आमंत्रित किया जाता है और पूरे नवरात्रि उत्सव का शुभ आरंभ होता है।

  
कैसे किया जाता है बिल्व निमंत्रण?

बिल्व निमंत्रण दुर्गा पूजा का पहला और अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन देवी दुर्गा को बिल्व वृक्ष पर आमंत्रित किया जाता है, जिसे देवी को धरती पर बुलाने का पवित्र न्योता माना जाता है। यह अनुष्ठान पूजा के पूरे समारोह की शुरुआत का प्रतीक है और भक्तों की श्रद्धा, भक्ति और समर्पण को दर्शाता है। इस दिन घर और पूजा स्थल को विशेष रूप से सजाया जाता है। बिल्व पत्र (बेल का पत्ता), दीप, फूल और अक्षत से वृक्ष और कलश को पूजित किया जाता है।



माना जाता है कि बिल्व वृक्ष देवी दुर्गा को अत्यंत प्रिय है, इसलिए उनके स्वागत के लिए इसे चुना जाता है। भक्त पूरे हृदय और मन से देवी को आमंत्रित करते हैं, उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि लाने का संकल्प लेते हैं।KL Rahul, Sai Sudarshan, Team India A, Australia A, IND A vs AUS A, IND vs AUS   

बिल्व निमंत्रण का यह अनुष्ठान केवल धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, जो देवी की कृपा और संरक्षण को आमंत्रित करता है। यही वजह है कि इस दिन की महत्ता दुर्गा पूजा में सर्वोपरि मानी जाती है और इसके बिना पूरे समारोह की आध्यात्मिक शुरुआत अधूरी मानी जाती है।


शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार

बिल्व निमंत्रण के दिन किए जाने वाले अनुष्ठान घर और परिवार में केवल धार्मिक क्रिया नहीं हैं, बल्कि यह शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने का विशेष माध्यम हैं। इस दिन किए जाने वाले पूजा-अर्चना, कलश स्थापना, बेलपत्र पूजन और दीप प्रज्ज्वलन से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण में सुख, शांति, समृद्धि और उत्साह का प्रवाह बढ़ता है। यही कारण है कि बिल्व निमंत्रण को दुर्गा पूजा का पहला और अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।



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लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।



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