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Kedarnath Temple: बंद हुए बाबा केदारनाथ के कपाट, जानिए समाधि पूजा का महत्व

LHC0088 2025-10-23 16:37:47 views 1030

  

Kedarnath Temple: बाबा केदारनाथ के कपाट हुए बंद।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस साल भाई दूज (Bhai Dooj) के पावन अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार और विशेष पूजा अनुष्ठानों के साथ मंदिर के कपाट अगले छह महीने के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस दौरान बाबा केदार (Kedarnath Temple) की पंचमुखी भोगमूर्ति को चल विग्रह डोली में विराजमान कर उनके शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए रवाना किया गया है, तो चलिए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
बंद हुए बाबा केदारनाथ के कपाट

गुरूवार यानी आज भैयादूज के शुभ दिन पर सुबह 8.30 पर बाबा केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद (Winter Closure) कर दिए गए। सुबह 6 बजे गर्भ गृह के कपाट बंद किए गए, जबकि 8.30 पर मंदिर के मुख्य द्वार के कपाट बंद हुए। अब 6 महीने के लिए बाबा केदारनाथ की पूजा शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी।
समाधि पूजा और उसका महत्व

केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने से पहले सबसे महत्वपूर्ण रस्म \“समाधि पूजा\“ की जाती है। यह पूजा कई घंटों तक चलती है और बहुत ही गोपनीय व विशेष होती है।
समाधि पूजा क्या है?

समाधि पूजा वह अंतिम पूजा है, जिसमें मंदिर के मुख्य पुजारी महादेव का विशेष शृंगार करते हैं। इस शृंगार में शिवलिंग को भस्म, फूल, और विभिन्न अनाजों के लेप से ढंककर एक समाधिस्थ रूप दिया जाता है। इस रूप में भगवान शिव को इस तरह से ढक दिया जाता है, जैसे वे अगले छह महीने के लिए ध्यान या समाधि में चले गए हों।
समाधि पूजा का महत्व

ऐसी मान्यता है कि जब मनुष्य के लिए मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तब अगले छह महीने के लिए देवता स्वयं यहां आकर बाबा केदार की पूजा करते हैं। यह पूजा भगवान शिव के तपस्या और वैराग्य का प्रतीक है। कपाट बंद होने से पहले मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है, जो छह महीने बाद कपाट खुलने तक जलती रहती है। समाधि पूजा के बाद गर्भगृह को बंद कर दिया जाता है,

और यह भी माना जाता है कि बाबा केदार खुद इस दौरान धाम में विराजमान रहते हैं। समाधि पूजा सिर्फ कपाट बंद करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा को बनाए रखने का पर्व है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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