जापान को मिलेंगी पहली महिला प्रधानमंत्री।   
 
  
 
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जापान के लिए आज का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है। जापान को इतिहास में पहली बार महिला प्रधानमंत्री मिलने जा रही है। 21 अक्टूबर को जापान की संसद साने ताकाइची को देश की पहली प्रधानमंत्री चुनने को तैयार है। इस खास मौके को लेकर जापान के लोगों में खुशी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
दरअसल, वर्तमान में जापान में राजनीतिक संकट जारी है। इस बीच साने ताकाइची ने एक नए साथी के साथ गठबंधन समझौता कर लिया है। माना जा रहा है कि नया साथी सत्तारूढ़ गठबंधन को राइट विंग की ओर ले जाने में मदद करेगा।  
शिगेरु इशिबा की जगह लेंगी साने ताकाइची  
 
इसी साल जुलाई में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इस हार के तीन महीने बाद तक राजनीतिक शून्यता और खींचतान को समाप्त करते हुए साने ताकाइची पूर्व प्रधान मंत्री शिगेरु इशिबा की जगह लेने जा रही हैं।  
 
बता दें कि शिगेरु इशिबा केवल एक साल तक ही कुर्सी पर बने रहे। इशिबा ने पिछले मंगलवार को ही अपने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद जापान में नए पीएम बनने का रास्ता साफ हो गया।  
कैसे जापान की पीएम बन रहीं हैं साने ताकाइची?  
 
साने ताकाइची 64 साल की हैं। वह काफी लंबे समय से एलडीपी के दक्षिणपंथी धड़े से जुड़ी रही हैं। अब ताकाइची ने दक्षिणपंथी जापान इनोवेशन पार्टी के साथ एलडीपी का गठबंधन कराया है। यही गठबंधन उन्हें जापान का पीएम बनने की राह खोल रहा है।  
 
बताया जा रहा है कि साने ताकाइची का यह नया गठबंधन अभी भी संसद के दोनों सदनों में बहुमत के आंकड़े से कम है। उन्हें किसी भी कानून को पास करने के लिए अन्य विपक्षी समूहों को अपने पाले में लाने की जरूरत होगी। यही कारण है यह उनके कार्यकाल को अल्पकालिक बना सकता है।  
साने ताकाइची के बारे में जानिए  
 
जानकारी के अनुसार, ताकाइची एक हेवी-मेटल ड्रमर और एक बाइकर भी रही हैं। साल 1993 में वह अपने गृहनगर नारा में पहली बार चुनाव जीतीं। इसके बाद उन्होंने आर्थिक सुरक्षा, आंतरिक मामलों और लैंगिक समानता सहित कई प्रमुख पदों पर कार्य किया है  
 
ताकाइची मार्गरेट थैचर को एक राजनीतिक आदर्श मानती रही हैं। इसके अलावा वह शिंजो आबे के रूढ़िवादी दृष्टिकोण से पूरी तरह सहमत भी हैं। कहा जाता है कि ताकाइची बड़े स्तर पर विदेशों के मामलों में कट्टर रही हैं। वह जापान के युद्धकालीन इतिहास की समीक्षावादी हैं यासुकुनी तीर्थस्थल का नियमित दौरा भी करती रही हैं।  
 
ध्यान देने वाली बात है कि साने ताकाइची का ये नियमित दौरा पड़ोसी देश चीन को नाराज करता रहा है। बताया जाता है कि ताकाइची को चीन के प्रति सख्त और दक्षिण कोरिया के प्रति सतर्क माना जाता है। (एजेंसी इनपुट के साथ)  
 
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