जागरण संवाददाता, बगहा। एनडीए ने बगहा, वाल्मीकिनगर और रामनगर विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। लंबे समय से पार्टी टिकट का इंतजार कर रहे नेताओं की बेचैनी बुधवार की रात उस वक्त खत्म हुई जब प्रत्याशियों के नाम सामने आए।
बगहा सीट से मौजूदा विधायक राम सिंह को एक बार फिर मौका दिया गया है। वे दूसरी बार इस सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे। भाजपा जिलाध्यक्ष से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले राम सिंह मूल रूप से रामनगर विधान सभा के भावल गांव के निवासी हैं। पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा जताते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाया है।
दूसरी ओर, वाल्मीकिनगर सीट से मौजूदा विधायक धीरेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह को जदयू ने टिकट दिया है। निर्दलीय विधायक के रूप में राजनीति में पहचान बनाने वाले रिंकू सिंह को युवाओं में खासा समर्थन प्राप्त है। रिंकू सिंह ने बताया कि वे लगातार जनता के बीच सक्रिय रहे हैं और क्षेत्र में कई विकास कार्य भी कराए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रामनगर सीट पर टिकट कटा, भागीरथी देवी के अगली रणनीति पर निगाहें
रामनगर सीट से वर्तमान विधायक भागीरथी देवी का इस बार टिकट काट दिया गया है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। उनकी जगह कोल्हुआ चौतरवा निवासी नंदकिशोर राम को रामनगर से एनडीए का उम्मीदवार बनाया गया है। वे पहले जदयू में सामान्य कार्यकर्ता थे। बाद में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। 1998 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर बगहा लोकसभा से चुनाव भी पड़ चुके हैं।
पार्टी के इस फैसले के बाद अब सबकी नजरें भागीरथी देवी के अगले कदम पर टिकी हैं। पार्टी नेतृत्व द्वारा किए गए मूल्यांकन के बाद उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया गया।
हालांकि, उन्होंने अभी तक अपने भविष्य की राजनीतिक रणनीति पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। उनकी जगह बगहा विधान सभा के कोल्हुआ पकड़ी निवासी नंदकिशोर राम को टिकट मिला है। वे पहले जदयू में थे। बाद में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और उसके बाद क्षेत्र में लगातार सक्रिय थे।
जनता के बीच मजबूत पकड़ और विकास कार्य बना निर्णायक आधार
तीनों सीटों पर टिकट वितरण में पार्टी नेतृत्व ने जनप्रतिनिधियों की जनता के बीच पकड़ और उनके कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को प्रमुख मानदंड माना। राम सिंह और रिंकू सिंह दोनों ने दावा किया है कि वे लगातार जनता के साथ जुड़े रहे हैं और उनकी समस्याओं का समाधान किया है। एनडीए के इस फैसले से साफ है कि इस बार गठबंधन अनुभव और जनविश्वास को प्राथमिकता दे रहा है। |