deltin33                                        • 2025-10-15 04:07:46                                                                                        •                views 1263                    
                                                                    
  
                                
 
  
 
    
 
बढ़ती कीमत के कारण सोने की खरीदारी थमी नहीं (प्रतीकात्मक तस्वीर)  
 
  
 
राजीव कुमार, जागरण, नई दिल्ली। वैश्विक बाजारों के अनुरूप घरेलू स्तर पर भी सोने और चांदी की कीमतों में तेजी जारी है। मंगलवार को दिल्ली के सराफा बाजार में 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत 1,29,580 रुपये बताई गई। इस साल सोना अब तक 60 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुका है, लेकिन इस बढ़ती कीमत के कारण सोने की खरीदारी थमी नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
कूंचा महाजनी स्थित दिल्ली सराफा बाजार के थोक कारोबारी विमल गोयल ने बताया कि कीमत में बेतहाशा बढ़ोतरी से सोने के जेवरों की खरीदारी जरूर थोड़ी प्रभावित हुई है, लेकिन सिक्के और बार (छड़) की बिक्री बढ़ गई है। गोयल का मानना है कि इस साल धनतेरस पर भी सोने की कीमत मंगलवार के भाव की तरह ही या अधिकतम 500-1000 रुपये प्रति 10 ग्राम ऊपर-नीचे रहने की संभावना है।  
वैश्विक उथल-पुथल की वजह से सोने में तेजी  
 
एलकेपी सिक्युरिटीज के वीपी रिसर्च एनालिस्टि (कमोडिटी एंड करेंसी) जतिन त्रिवेदी का मानना है कि अमेरिकी सरकार में जारी शटडाउन, अमेरिकी बांड की रिटर्न में कमी और वैश्विक उथल-पुथल की वजह से सोने में तेजी का रुख है। अमेरिका की टैरिफ नीति के बाद से दुनिया के तमाम शेयर बाजार प्रभावित हुए। प्रमुख देशों में राजनीतिक हालात अस्थिर हैं।  
 
अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, ईरान, इजरायल जैसे कई देश किसी न किसी कारण से उलझे हुए हैं। ऐसी स्थिति में निवेशकों का रुझान सोने को लेकर थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत अवस्था में रखने के लिए दुनियाभर के सेंट्रल बैंक की तरफ से सोने की खरीदारी में तेजी आई है।  
खपत से कम रहता है सोने का उत्पादन  
 
सोने का वैश्विक उत्पादन हमेशा सोने की वैश्विक खपत से कम रहता है। वर्ष 2024 में सोने की वैश्विक खपत 4,900 टन के पास रही तो सोने का वैश्विक उत्पादन 3,800 टन रहा। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक वर्ष 2024 में दुनिया के विभिन्न सेट्रल बैंकों ने 1089 टन सोने की खरीदारी की। इस अवधि में ज्वैलरी निर्माण के लिए 1887 टन, टेक्नोलाजी में 326 टन तो निवेश के रूप में 1181 टन सोने की खरीदारी की गई।  
 
निवेश के रूप में सोने की खरीदारी की मात्रा लगातार बढ़ रही है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक दुनिया में सबसे अधिक चीन सालाना लगभग 380 किलोग्राम सोने का उत्पादन करता है। भारत का सोना उत्पादन में कोई स्थान नहीं है जबकि भारत में सालाना 800 टन की खपत है जो दुनिया में दूसरा सर्वाधिक खपत है।  
लैंडरोवर की कार के बराबर हुई एक किलो सोने की कीमत  
 
मशहूर उद्योगपति और आरपीजी समूह के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर सोने की बढ़ती कीमतों को लेकर एक पोस्ट किया है। इस पोस्ट में बताया गया है कि 1990 में एक मारुति कार और एक किलो सोने की कीमत बराबर थी। दस साल बाद वर्ष 2000 में एक किलो सोने की कीमत एक एस्टीम कार के बराबर हो गई।  
 
मात्र पांच साल बाद 2005 में एक किलोग्राम सोने की कीमत इनोवा गाड़ी के बराबर तो वर्ष 2010 में फाच्र्यूनर के बराबर हो गई। अब एक किलो सोने की कीमत लैंड रोवर गाड़ी के बराबर हो गई। यानी कि अगर किसी व्यक्ति ने वर्ष 1990 में मारुति 800 कार की जगह एक किलो सोना खरीदा होता तो आज उस व्यक्ति की हैसियत लैंड रोवर कार खरीदने की होती। लैंड रोवर की कारों की कीमत 80 लाख रुपये (एक्स शोरूम) से शुरू होती है, जो अधिकतम 2.68 करोड़ रुपये तक है।  
वर्ष ------------------ सोने की कीमत 
1990 ------------------ 3200 रुपये 
2000 ------------------ 4400 रुपये 
2005 ------------------ 7,000 रुपये 
2010 ------------------ 18,500 रुपये 
2025 ------------------ 1,29,580 रुपये  
 
(कीमत 10 ग्राम सोने की) |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
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