बडगाम व नगरोटा सीटों पर अभी उम्मीदवार उतारने पर नेकां ने नहीं किया कोई विचार।फाइल फोटो।
नवीन नवाज,जागरण, श्रीनगर। सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस ने शुक्रवार को राज्यसभा की चार सीटोें में से तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर, कांग्रेस को बैकफुट पर ला खड़ा कर दिया है।
नेशनल कान्फ्रेंस ने उम्मीदवारों के चयन के जरिए डोडा-किश्तवाड़ में अपनी स्थिति मजबूत करने और सिख समुदाय को साधने का प्रयास करते हुए स्पष्ट कर दिया कि डॉ फारूक अब्दुल्ला अब सक्रिय राजनीति से दूर रहेंगे। चौथी सीट भाजपा के पक्ष में जाएगी। मौजूदा घटनाक्रम में अब कांग्रेस का अगला कदम क्या होगा, यह सभी के लिए जिज्ञासा का विषय है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मतदान 24 अक्टूबर को श्रीनगर में ही होगा
केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश की राज्यसभा में फरवरी 2021 से रिक्त पड़ी चार सीटों के लिए मतदान 24 अक्टूबर को श्रीनगर स्थित विधानमंडल परिसर में ही होगा। जम्मू कश्मीर विधानसभा में दलीय स्थिति के आधार पर राज्यसभा की चार में से एक सीट भाजपा आसानी से जीत सकती है।
उसके 28 विधायक हैं जबकि सत्तारूढ़ नेशनल कांन्फ्रेंस को बाकी सीटों पर बढ़त हासिल है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के साथ-साथ निर्दलीय विधायकों के पास 90 सदस्यीय सदन में कुल 53 वोट हैं। बाकी विधायकों में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के तीन, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, माकपा, अवामी इत्तेहाद पार्टी और आम आदमी पार्टी के एक-एक विधायक और सात निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
केंद्र को नाराज नहीं करना चाहते उमर
राज्यसभा के लिए कांग्रेस चाहती थी कि उसे एक सुरक्षित सीट मिले और इसके लिए प्रदेश कांग्रेस अपने केंद्रीय नेताओं के माध्यम से नेशनल कान्फ्रेंस पर दबाव बना रही थी। हालांकि पहले ही दिन से स्थानीय हल्कों में चर्चा थी कि नेशनल कान्फ्रेंस जीती हुई नजर आ रही तीन सीटों में से शायद ही कोई कांग्रेस के लिए छोड़े।
वह वही सीट कांग्रेस को देने का विकल्प अपनाएगी, जहां भाजपा की जीत तय है। इसके अलावा केंद्र में भाजपा की सरकार है और उमर अब्दुल्ला मौजूदा परिस्थितियों में राज्यसभा में कांग्रेस की उपस्थिति को बढ़ाकर केंद्र को नाराज नहीं करेंगे।
नेकां ने तीन उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की
नेशनल कान्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने बताया कि डॉ फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में पार्टी की कोर समिति की बैठक में राज्यसभा के तीन उम्मीदवार तय किए गए हैं। इनमें पूर्व मंत्री चौधरी मोहम्मद रमजान, सज्जाद अहमद किचलू के अलावा शम्मी अोबराय हैं। उन्हाेंने बताया कि प्रत्याशियों का चयन उनकी योग्यता, प्रदेश के सभी क्षेत्रों और वर्गाों को प्रतिनिधित्व सुनिश्चित बनाने के के आधार पर किया गया है।
हमारे तीनों प्रत्याशी राज्यसभा में जम्मू कश्मीर की जनता की उम्मीदों और आकांक्षाओं का सही तरीके से प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने कांग्रेस के साथ सीटों के तालमेल पर बातचीत को लेकर पूछे गए सवाल को टालते हुए कहा कि चार सीटों पर चुनाव होना है,हमने अभी तीन उम्मीदवार घोषित किए हैं।
बडगाम-नगरोटा सीट पर फिलहाल उम्मीदवार तय नहीं
नेशनल कान्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सलाहकार नासिर असलम वानी ने कहा कि कांग्रेस के साथ राज्यसभा की सीटों को लेकर कांग्रेस के साथ तालमेल पर कहा कि कांग्रेस के साथ हमारा गठजोड़ है। कोई भी फैसला कांग्रेस के साथ विचार विमर्श के बाद ही लिया जाता है। विभिन्न स्तरों पर उससे बातचीत होती है।
डॉ फारूक अब्दुल्ला के चुनाव न लड़ने की घोषणा
डॉ फारूक अब्दुल्ला के चुनाव न लड़ने पर उन्होंने कहा कि यह फैसला स्वयं उनका ही है। वह चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर में रह कर जम्मू कश्मीर की जनता की सेवा करें। हम भी यही चाहते हैं कि वह जम्मू कश्मीर में रहकर हमारा मार्गदर्शन करें। बडगाम और नगरोटा विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन पर उन्होंने कहा कि यह संबधित क्षेत्रों के पार्टी प्रभारियों से बातचीत और कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर ही उम्मीदवार तय किए जाएंगे। अभी हमने इन दोनों सीटों के लिए कोई उम्मीदवार तय नहीं किया है।
डोडा-किश्तवाड़ में मजबूत करने की कोशिश
कश्मीर मामलों के जानकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि नेशनल कान्फ्रेंस ने चौधरी मोहम्मद रमजान को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाकर उत्तरी कश्मीर में विशेषकर जिला कुपवाड़ा में अपने कैडर और अपने जनाधार को अपने साथ जोड़े रखने का प्रयास किया है। पूर्व मंत्री सज्जाद अहमद किचलू जिला किश्तवाड़ के रहने वाले हैं और उन्हें राज्यसभा में भेजकर नेशनल कान्फ्रेंस ने रामबन-डोडा-किश्तवाड़ ही नहीं समूचे जम्मू प्रांत के मुस्लिमों को दिल्ली में प्रतिनिधत्व देने का प्रयास किया है।
सिख समुदाय को साधने का प्रयास
शम्मी ओबराय जो मुख्मयंत्री उमर अब्दुल्ला के बचपन के मित्र हैं, के जरिए नेशनल कान्फ्रेंस ने सिख समुदाय जो प्रदेश विधानसभा से लेकर संसद तक, प्रदेश सरकार पर अपनी उपेक्षा का आरोप लगाता है,को शांत करने का प्रयास किया है। उनके जरिए उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय को जोड़ने का प्रयास किया है।
शम्मी ओबराय के पिता दिवंगत धर्मवीर ओबराय नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष डा फारूक अब्दुल्ला के मित्र थेद्ध वह राज्य विधान परिषद के सदस्य भी रहे। पिता के निधन के बाद ही शम्मी ओबराय ने नेशनल कान्फ्रेंस की संगठनात्मक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाना शुरु की।
कांग्रेस का अगला कदम क्या होगा
कश्मीर मामलों के जानकर सैयद अमजद शाह ने कहा कि मौजूदा घटनाक्रम में कांग्रेस की प्रतिक्रिया ही जिज्ञासा का विषय है। वह क्या करती है, वह अब चारों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारती है या हार मानकर बैठी रहेगी।
आयोग ने तीन अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की
जम्मू कश्मीर में रिक्त पड़ी चार राज्यसभा सीटों के लिए निर्वाचन आयोग ने तीन अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की हैं। मतदान 24 अक्टूबर 2025 को विधानसभा परिसर श्रीनगर में स्थापित मतदान केंद्र में होगा। पहली अधिसूचना के तहत होने वाला मतदान 10 फरवरी, 2021 को मीर मोहम्मद फैयाज के कार्यकाल की समाप्ति पर उनके सेवानिवृत्त होने के कारण राज्य सभा में रिक्त हुई सीट को भरने के लिए होगा।
दूसरी अधिसूचना दूसरी अधिसूचना 10 फरवरी, 2021 को श्री शमशेर सिंह द्वारा रिक्त की गई राज्यसभा सीट से संबंधित है। तीसरी अधिसूचना तीसरी अधिसूचना गुलाम नबी आजाद और नज़ीर अहमद लावे के 15 फरवरी, 2021 को उनके कार्यकाल पूरा होने पर सेवानिवृत्त होने के कारण उत्पन्न रिक्तियों को भरने के लिए होने वाले चुनाव से संबंधित है।
पीडीपी-भाजपा गठजोड़ से जीत थे उम्मीदवार
जम्मू कश्मीर में जब पिछली बार राज्यसभा के लिए चुनाव हुआ था तो उस समय पीडीपी-भाजपा गठजोड़ था। गठजोड़ के तहत हुए समझौते के तहत पीडीपी ने मीर मोहम्मद फैयाज और नजीर अहमद लावे को भाजपा के सहयोग से अपना उम्मीदवार बनाया था। उसके दोनों उम्मीदवार जीत गए थे।
तीसरी सीट भाजपा के शमशेर सिंह मन्हास ने जीती थी जबकि चाैथी सीट कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और अवामी इत्तिहाद पार्टी व माकपा के सहयोग से जीती थी। |