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भोजपुर में कटाव पीड़ितों का दर्द; सामुदायिक रसोई बंद, हजारों परिवार भूख और बेघरपन से परेशान

deltin33 1 hour(s) ago views 936

  



संवाद सूत्र, शाहपुर(आरा)। जवइनिया गांव के कटाव पीड़ित परिवारों के पुनर्वासन एवं दाना पानी का मुद्दा विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा माना जा रहा है। क्योंकि गांव का लगभग अस्तित्व समाप्त हो चुका है और हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष अपने परिवार के साथ दामोदरपुर बांध पर तिरपाल एवं झोपड़ीनुमा घर बनाकर पिछले तीन महीने से रहने को विवश है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

  

वहीं सरकार द्वारा कटाव पीड़ित परिवारों के लिए तीन महीने से सामुदायिक रसोई चलाया जा रहा था। लेकिन पांच अक्टूबर से सामुदायिक रसोई को बंद कर दिया गया। इसके बाद से कटाव पीड़ित परिवारों के समक्ष दाना पानी की समस्या उत्पन्न हो चुकी है। कटाव पीड़ितों की माने तो उनके घर में अन्न का दाना तक नहीं बचा है। आखिर उनके परिवार और बच्चे क्या खाएंगे। घर बार गंगा नदी में विलीन हो चुका है। खेती-बाड़ी समाप्त हो चुकी है। काम धंधा मिल नहीं रहा है। ऐसे में परिवार को चलाना बेहद मुश्किल हो रहा है।

  

  

  

  

कटाव के कारण करीब 300 से ज्यादा परिवार विस्थापित होकर तटबंध पर शरण लिए हुए हैं। वहीं बहुत सारे परिवार अपने नाते रिश्तेदारों के घर भी विस्थापन की जिंदगी बसर कर रहे हैं। अब ठंड का मौसम आने वाला है और तिरपाल एवं झोपड़ी में जीवन कैसे गुजरेगा या यक्ष प्रश्न है! वहीं सरकार द्वारा करीब 100 कटाव पीड़ितों को जमीन का पर्चा भी दिया गया है। लेकिन परचाधारियों को जमीन पर कब्जा नहीं दिलाया जा सकता है। इसमें भी 29 परिवारों को दामोदरपुर बांध के दक्षिणी हिस्से में पर्चा दिया गया है।

  

  

  

जबकि 70 परिवारों को गांव से करीब 20 किलोमीटर दूर बिलौटी पंचायत में जमीन को आवंटित कर पर्चा दिया गया है। इस वर्ष के कटाव पीड़ित 182 परिवारों में से मात्र 111 परिवारों को ही मकान विलीन होने के लिए एक लाख बीस हजार रुपये का मुआवजा राशि मिल पाया है। जबकि 71 परिवारों को अब तक मुआवजे की राशि भी नही मिल सकी है। जबकि कटाव से प्रभावित लोगों की तीसरी सूची भी बनाई जा रही है। जिसमे करीब पचास परिवारों को शामिल किया गया है। फिलहाल तीसरी सूची के कटाव पीडितो को किसी तरह का मुआवजा नही मिल पाया है।

  

  




कटाव में सबकुछ विलीन हो गया। ना घर है ना खेतीबारी ना ही कोई रोजगार। सरकार भी अब साथ छोड़ गई। अब तो खाने को कुछ नही है। क्या किया जाय कुछ समझ में नही आ रहा है।

मुकेश चौधरी, कटाव पीड़ित, जवइनिया



सब लोग साथ छोड़ देलस। अब भगवाने मालिक बाड़े। बुझाते नइखे की बाल बच्चा के कइसे जियाउल जाऊ। बांध पर मड़ई में बानी जा।

बबिता देवी, कटाव पीड़ित, जवइनिया



सरकारी टेंट कबरी गइल, जनरेटर अउर सामुदायिक रसोई बंद हो गइल। जइसे-तइसे तिरपाल तांग के हजारों लोग रात में अंधेरा में राहत बा।

उपेंद्र गोंड, कटाव पीड़ित, जवइनिया



सरकार द्वारा जिन कटाव पीडितो को भूमि आवंटित कर पर्चा दिया गया है। उनको कब्जा दिलाकर पुनर्वास कराया जाय।

छठु चौधरी, कटाव पीड़ित, जवइनिया



जवन तिरपाल मिलल रहे फाट गइल तीन महीना हो गइल। अब त केहू पुछवइया नइखे। बड़ी परेशानी जिनिगी नरक बन गइल बा।

शारदा देवी, कटाव पीड़ित, जवइनिया



बांध पर शरण लिए हजारों लोगों के लिए मेडिकल टीम भी नही आ रही है। कटाव पीड़ितों के पैसा भी नही है कि इलाज करा पाए।

उपेंद्र गोंड, कटाव पीड़ित, जवइनिया
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