आईआईटी दिल्ली में आईएचएफसी के पांच वर्ष पूरे होने पर लगाई गई नए स्टार्टअप्स की प्रदर्शनी। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना को पाकिस्तान की ओर से भेजे जा रहे ड्रोन को मारने के लिए महंगी तकनीक और मिसाइलों को सहारा लेना पड़ा।
इससे सबक लेते हुए अब देश के युवा ऐसे मिसाइल ड्रोन तैयार कर रहे हैं, जो कम खर्च में दुश्मन देशों के ड्रोन को मार गिराएंगे। 64 ड्रोन एक साथ जाकर दुश्मन ड्राेन को नष्ट कर देंगे।
नए स्टार्टअप के जरिये इन ड्राेन को तैयार किया जा रहा है। आईआईटी दिल्ली के टेक्नोलाॅजी इनोवेशन हब – आई -हब फाउंडेशन फार कोबोटिक्स (आईएचएफसी) के पांच वर्ष पूरे होने पर रिसर्च इनोवेशन पार्क में लगाई गई प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एरका एयरोस्पेस की ओर से तैयार यूनिवर्सल काइनेटिक इंटरसेप्टर ड्रोन को यहां लाॅन्च किया गया। एरका एयरोस्पेस के सीईओ सूरज ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन को मारने में मिसाइलों का इस्तेमाल भी किया गया। यह भारत के लिए काफी महंगा था।
उसके बाद कम खर्च में उन्हें मारने के लिए हमने नई तकनीके जरिये इंटरसेप्ट ड्रोन बनाए हैं। इनके ऊपर विस्फोटक लगा होगा और एक रडार सिस्टम के जरिये यह संचालित होंगे। दुश्मन ड्रोन को यह खुद ट्रेक कर लेंगे और खत्म कर देंगे। एक बार में 64 ऐसे ड्रोन छोड़े जा सकते हैं।
इन पर अभी और कार्य किया जा रहा है। इन्हें ऑप्टिकल फाइबर किट की सहायता से तैयार किया गया है। सिस्टम को फाइबर एक्स नाम दिया गया है।
एक अन्य अधिकारी गीतिका ने बताया कि ऑप्टिकल फाइबर की मदद से ऐसा ड्रोन भी तैयार किया है, जिसे दुश्मन के जैमर जाम नहीं कर पाएंगे। यह पूरी जानकारी लेकर वापस आएगा।
पहले ड्रोन में रेडियो सिग्नल का इस्तेमाल होता था, इससे इन्हें जाम कर दिया जाता था। लेकिन, ऑप्टिकल फाइबर ड्रोन को जाम नहीं किया जा सकता।bahraich-general,Bahraich news,Nepali motorboat,Ghaghra Barrage,India-Nepal border security,Security threat,Border intrusion,Bahraich security,Nepal prison escapees,Cross-border security,Smuggling Bahraich,Uttar Pradesh news
आईएचएफसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशुतोष शर्मा ने कहा, नवाचार के लिए एक कारक पर्याप्त नहीं है, पूरा पारिस्थितिकी तंत्र आवश्यक है। लगभग 125 प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया है।
अब 12 प्रतिशत स्नातक करने वाले आईआईटी दिल्ली के छात्र स्टार्टअप से जुड़ते हैं। आईएचएफसी ने 10 को-इनोवेशन सेंटर भी स्थापित किए हैं।
आईएचएफसी के परियोजना निदेशक, प्रो. सुबीर कुमार साहा ने कहा, पिछले पांच वर्षों में, हमने सहयोगी रोबोटिक्स में गहन तकनीकी समाधान विकसित करने के लिए एक मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए अथक प्रयास किया है।
इससे पहले मुख्य अतिथि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव, प्रो. अभय करंदीकर ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में आईआईटी के डायरेक्टर प्रो. रंगन बनर्जी मौजूद रहे।
कोबरा ड्रोन ध्वस्त इमारतों में फंसे लोगों का पता लगाएगा
आईएचएफसी के अंतर्गत संचालित डीटेक स्टार्टअप ने कोबरा ड्रोन तैयार किया है। इसके जरिये भूकंप या अन्य आपदा के दौरान इमारत ध्वस्त होने पर अंदर फंसे लोगों के बारे में पता लगाया जा सकेगा।
डीटेक के सीईओ रनित चटर्जी ने बताया कि एनडीआरएफ के साथ मिलकर इसकी टेस्टिंग पर काम किया जा रहा है। इसमें हीट सेंसिंग सिस्टम, थर्मल कैमरे का इस्तेमाल किया गया है।
यह स्नेक रोबोट पल्स और खून बहने आदि की जांच करके बता सकेगा कि अंदर कितने लोग जीवित हैं और कितने नहीं। पिछले डेढ़ साल से इस पर काम चल रहा है। इसके और एडवांस वर्जन तैयार किए जा रहे हैं।
डाॅग रोबोट लगाएगा बारूदी सुरंगों का पता
एक्स टेरा रोबोटिक्स ने डाॅग रोबोट तैयार किया है। यह दुर्गम युद्ध क्षेत्रों में जाकर बारूदी सुरंगों और दुश्मनों के ठिकानों का पता लगा सकता है। यह पूरी तरह स्वदेशी है। यह उच्च गुणवत्ता का डाटा एकत्र कर भेज सकता है। इसमें झुककर चलने की क्षमता भी है।
इसमें थर्मल कैमरा लगाए गए हैं। यह रिफाइनरीज में गैस व तेल के रिसाव को भी खोज सकता है और बड़े हादसे होने से बचा जा सकता है। इसके कई नए वर्जन तैयार किए जा रहे हैं।
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