cy520520 • 2025-10-9 20:06:33 • views 691
संजय कुमार उपाध्याय, मोतिहारी। राजनीतिक दलों की ओर पूर्वी चंपारण की 12 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी तय करने की प्रक्रिया चल रही है। अभी बहुत सारे चेहरे स्पष्ट नहीं हैं। इन सबसे अलग वर्चुअल हलचल खूब है। टिकट की आस लिए विधायक और दावेदार सभी चेहरा चमका रहे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रील तैयार कर सोशल मीडिया पर उपस्थिति दर्शा रहे हैं। साथ ही शीर्ष नेतृत्व को लाइक, कमेंट व रील के माध्यम से समर्थकों की भीड़ दिखाकर टिकट की दावेदारी सुनिश्चित कराने की कोशिश कर रहे हैं।
धरतल पर दावों को देख रही जनता
इसके लिए फेसबुक, एक्स, इंस्ट्राग्राम, यू-ट्यूब आदि का उपयोग खूब किया जा रहा है। इसका एक बड़ा बाजार तैयार हो गया है। प्रोफाइल हैंडलिंग के लिए प्रोफेशनल रखे गए हैं, लेकिन जनता है कि इससे अलग धरातल पर दावों को देख रही। रील के फैक्ट की रियलिटी चेक कर रही है।
जरा ये नारे समझ लीजिए - एनडीए के विधायक व नेताओं के फेसबुक हैंडल पर किए गए पोस्ट की लाइन का पहला शब्द विधानसभा का नाम फिर नारा- ‘... है तैयार 14 नवंबर को आ रही एनडीए सरकार। तरक्की कर रहा बिहार, फिर से एनडीए सरकार ...!
14 नवंबर को आ रही तेजस्वी सरकार
आईएनडीआईए गठबंधन के विधायक व नेताओं के फेसबुक हैंडल से किए गए पोस्ट में भी कुछ इसी तरह से दावा किया जा रहा। यहां भी पहला शब्द विधानसभा व बिहार है। फिर नारा है - बिहार है तैयार 14 नवंबर को आ रही तेजस्वी सरकार। कांग्रेस की गारंटी- ‘अब इलाज बनेगा अधिकार ...! ये नारे इंटरनेट मीडिया में खूब चल रहे।
इसके अतिरिक्त सभी अपने-अपने तरीके से आम आदमी का वीडियो भी पोस्ट कर रहे हैं जो अपने-अपने चहेते नेता व अन्य के पक्ष में आवाज बुलंद करते दिख रहे।
यहां बता देना जरूरी है कि पूर्वी चंपारण की कुल बारह में से नौ सीटों पर एनडीए के विधायक हैं। आठ पर भारतीय जनता पार्टी व एक पर जदयू। शेष तीन विधानसभा सीटों पर राजद के विधायक हैं।
पिछले चुनाव में जिले में राजनीति का यह सीन व समीकरण बनाने वाली जनता की नजर अब टिकट लेकर आने वाले चेहरों पर तो है ही। सबसे ज्यादा समीक्षा नेताओं के व्यवहार व काम की हो रही।
क्या कहते हैं लोग
कल्याणपुर के ईश्वर सिंह कहते हैं- ‘किसी भी काम के लिए धरातल पर रहना जरूरी है। रील व इंटरनेट की दुनिया रिटायर्ड आदमी क्या समझेगा। वह तो रियलिटी में ही भरोसा रखेगा। इस बार भी रियलिटी अपना काम रीयल टाइम पर करेगी।
मोतिहारी में मिले आदित्य मानस की बात- ‘रील लाइफ व रीयल लाइफ की दुनिया अलग-अलग है। ये राज्य के भविष्य निर्माण का वक्त है। इसमें रील तो बस माहौल बना सकता है वह भी उनके लिए जिनके हाथ में स्मार्ट फोन है। यहां तो रीयल लाइफ वाले रील से कोसों दूर है। रील के माहौल पर रियलिटी हर बार की तरह इस बार भी भारी होगी।’
अरेराज के अमृत कुमार कहते हैं- ‘जब सब कुछ सामने हो तो फिर रील की बहुत जरूरत नहीं पड़ती। हां, यह जरूर है कि कुछ भूल गए तो इसे देखकर याद ताजा हो जाती है। टिकट दल का फैसला है। जनता तो रियलिटी चेक कर रही है।
मोतिहारी की सुनीता सिंह कहती हैं- ‘शिक्षित समाज में रील का मतलब सभी जानते हैं। गांव के लोग रील व रीयल के बीच का अंतर समझने लगे हैं। ऐसे में कोई कंफ्यूजन नहीं टिकट पार्टी का रियलिटी चेक जनता करेगी। |
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