बहरामपुर दक्षिणी गांव में रहने वाली छात्राएं स्कूल जाने के लिए गांव से डोगी नाव में बाहर आती हुई।-पंकज श्रीवास्तव
- नदियों का जलस्तर कम होने से बाढ़ का खतरा टलने के बढ़े आसार
- शहर से सटे बहरामपुर सहित अन्य स्थानों पर लोग उठा रहे परेशानी
जागरण टीम, गोरखपुर। जनपद की नदियों का पानी घटने से जहां बाढ़ का खतरा टलने के आसार बढ़े हैं। वहीं प्रभावित क्षेत्रों में समस्याएं कम नहीं हो रही है। शहर से सटे बहरामपुर दक्षिणी, तकिया सहित अन्य जगहों पर लोग नाव से आवाजाही कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बहरामपुर में रहने वाले विद्यार्थी प्रतिदिन नाव चलाकर स्कूल जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रति वर्ष ऐसी दिक्कत होती है, लेकिन प्रशासन समस्या का समाधान नहीं कर रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नदियों का जलस्तर घटने लगा है।
इससे बाढ़ का खतरा टलने के आसार हैं। लेकिन नदियों की रफ्तार से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कटान तेज हो गई है। बड़हलगंज क्षेत्र के ज्ञानकोल में सरयू नदी कटान कर रही है, तो राप्ती नदी से उत्तरासोत में मिट्टी काटकर नदी बंधे के समीप पहुंच गई है।
सिंचाई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार की शाम चार बजे तक 24 घंटे में राप्ती नदी का पानी 15 सेंटीमीटर तो रोहिन नदी का जलस्तर 37 सेंटीमीटर कम हुआ है। तुर्तीपार में सरयू नदी उतार पर है। यहां नदी खतरे के निशान से सिर्फ 16 सेमी ऊपर है।
राप्ती और रोहिन नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बर्डघाट में राप्ती नदी का जलस्तर 15 सेंटीमीटर कम हुआ है। नदी अपने खतरे के निशान से 14 सेंटीमीटर ऊपर है। त्रिमुहानीघाट पर रोहिन नदी 37 सेंटीमीटर घटी है। हालांकि इसके बाद भी नदी खतरे के निशान से 49 सेंटीमीटर ऊपर है।
राहत की बात यह है कि सरयू नदी अयोध्या में खतरे के निशान से 40 सेंटीमीटर नीचे पहुंच गई है। हालांकि इसके बाद भी नदियों की बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत नहीं मिल पाई है। शहर से सटे बहरामपुर दक्षिणी, उत्तरी कोलिया, डोमिनगढ़, तकियाघाट सहित अन्य जगहों पर लोगों की समस्याएं जस की तस बनी हैं।
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बहरामपुर दक्षिणी में रहने वाले बच्चे नाव चलाकर बच्चे स्कूल जा रहे हैं। गांव की कक्षा छह में पढ़ने वाली सृष्टि, आठवीं की रुपम और नौवीं की छात्रा मुस्कान एमपी बालिका इंटर कालेज में पढ़ती हैं। सुबह आठ बजे स्कूल पहुंचने के लिए वह घर से साढ़े छह बजे निकलती हैं।
छोटी नाव चलाकर वह किनारे पर आती हैं। इसके बाद स्कूल जाती हैं। गांव के ही रोशन, सूरज, आदर्श, अंकिता, उपदेश और आदित्य सहित अन्य बच्चों ने बताया कि वे जब छोटे थे, तब डर लगता था। लेकिन अब स्वयं नाव लेकर बाढ़ को पार करते हैं। बीते कई वर्ष से यह क्रम चल रहा है।
उत्तरासोत में तीसरी कटान से गिरा बंधे का ठोकर, ग्रामीण भयभीत
गाहासाड़-कोलिया बंधे के समीप उत्तरासोत गांव के सामने राप्ती नदी तीसरी जगह पर तेजी से कटान कर रही है। नदी की तेज धारा के कारण बंधे का ठोकर कटकर नदी में बह गया है। इससे ग्रामीण भयभीत हैं।
इसके पहले नदी दो जगह कटान कर चुकी है। कटान की रोकथाम के लिए पेड़-पौधों, ईंट-पत्थरों और मिट्टी से भरी बोरियों को कटान वाली जगहों डाला जा रहा है। सिंचाई विभाग के अवर अभियंता त्रिदेव ने बताया कि कटान पर प्रभावी नियंत्रण किया जा रहा है।
राप्ती नदी में आयी बाढ़ से घिरा बहरामपुर दक्षिणी गांव। जागरण
पूर्व विधायक ने कटान प्रभावित गांवों का जाना हाल
बड़हलगंज विकास खंड के कछार के कटान प्रभावित ज्ञानकोल, बगहा देवार, छपिया उमराव व झाझाशिव गांव में मंगलवार की देर शाम को पूर्व विधायक विनयशंकर तिवारी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने लोगों की समस्याओं को सुना।
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प्रदेश सरकार पर दक्षिणांचल के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते कहा कि इस वजह से पाल टोला, जगदीशपुर कट गया है। अब ज्ञानकोल गांव का अस्तित्व सरयू की धारा में समाहित हो रहा है। जनप्रतिनिधि की उदासीनता से बाढ़ व कटान से क्षेत्र की जनता परेशान है।
इस दौरान पूर्व विधायक के साथ पूर्व प्रमुख राजबहादुर सिंह, भुनेश्वर चतुर्वेदी, श्रीप्रकाश यादव, विवेक सिंह, महेंद्र यादव, जयचंद यादव सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। |