दम तोड़ती रामगंगा: आचमन करना तो दूर, अब पैर रखने लायक भी नहीं रहीं बरेली की नदियां

cy520520 16 min. ago views 282
  

बदहाल नदी



कमलेश शर्मा, जागरण, बरेली। हम स्मार्ट सिटी में रहने का भ्रम भले ही पालें रहें, लेकिन लाइफ लाइन रहीं नकटिया और किला नदियां सिस्टम को कटघरे में खड़ी कर रही हैं। तीन दशक पहले तक इन नदियों का पानी स्वच्छ हुआ करता था, इनमें विविध प्रकार के लाभकारी शैवाल और फफूंद पाए जाते थे। अब हालत यह हो गई है कि आचमन की बात तो छोड़िये, नहाने लायक नहीं रह गई हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

रामगंगा नदी में नालों और फैक्ट्रियों का दूषित पानी बहाए जाने से स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि मछलियां मरने लगी हैं। शहर के लिए महत्वपूर्ण जलधारा किला नदी अतिक्रमण और कूड़ा-कचरे भरने से नाला में तब्दील हो चुकी है। इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। आंवला क्षेत्र में राजा द्रुपद का किला था, जिसके नाम पर इसका नामकरण हुआ था।

बाकरगंज इलाके में कभी बाढ़ का कारण बनती रही, लेकिन अब तो बरसात में ही पानी बहता दिखता है, इन दिनों नालों का पानी बह रहा है। नदी में नहाना और आचमन करना तो दूर इसमें किसी की घुसने की हिम्मत नहीं हो रही है। किला पुल के आसपास प्लास्टिक और जलकुंभी से इसका अस्तित्व खतरे में आ गया है।

रामगंगा की सहायक नदियों में एक नकटिया नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड में है। जिले मेें बहेड़ी तहसील क्षेत्र से आरंभ होती है, शहर के मध्य से होती हुई शाहजहांपुर में जाकर रामगंगा में मिल जाती है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की गवाह रही है। नदी के किनारे रुहेला सरदारों और अंग्रेज सैनिकों के बीच कई दिनों तक युद्ध चला था।

तब यह नदी सिंचाई का मुख्य साधन हुआ करती थी। तीन दशक पहले तक इस नदी में लोग स्नान करते थे। वनस्पति शास्त्री इसमें शोध करने के लिए पहुंचते थे। नालों का दूषित पानी प्रवाहित होने से लाभकारी शैवाल नष्ट हो गए और अब खतरनाक बैक्टीरिया पनप चुके हैं, जिससे जलीय जीव-जंतु भी खत्म हो गए हैं। अब नदी का पानी काला दिखता है, इसमें घुसने से भी लोग परहेज करते हैं।

अब बात रामगंगा नदी की करते हैं। यह जिले की मुख्य नदी है। स्नान पर्वों पर स्नान के लिए हजारों की भीड़ जुटती है। बरसात के दिनों में तो प्रवाह तेज होने से इसमें प्रवाहित होने वाला नालों और फैक्ट्रियों का पानी बह जाता है, लेकिन गर्मी और सर्दी के सीजन में पानी दूषित हो जा रहा है।

हालिया घटनाक्रम में दूषित पानी के कारण मछलियां मरने लगी हैं। इन नदियों को संरक्षित करने के लिए जिला नदी संरक्षण समिति भी बनी है। जिलाधिकारी अध्यक्ष हैं, विशेषज्ञों को भी इसमें शामिल किया गया है, लेकिन धरातल पर कोई ठोस सुधारात्मक कार्य होता नहीं दिख रहा है।
एसटीपी का ईमानदारी से हो संचालन

बरेली कालेज में वनस्पति विज्ञान विभाग के चीफ प्राक्टर डा. आलोक खरे चार दशक से किला और नकटिया नदियों का स्वरूप बदलते देखते आ रहे हैं। 1987-91 तक फफूंद और शैवाल के सैंपल लेकर प्रयोग करते रहे हैं। वह जिला नदी संरक्षण समिति के सक्रिय सदस्य भी हैं। वह बताते हैं कि नकटिया नदी से लाभकारी शैवाल और फफूंद के सैंपल संग्रह कर चुके हैं।

तीन दशक पहले तक नदी में उतरकर शोधात्मक कार्य करते रहते थे, लेकिन देखते ही देखते नदी नाले में परिवर्तित हो गई। मुख्य कारण नदी के किनारे अतिक्रमण कर पक्का निर्माण, बिना उपचारित नालों का पानी नदी में प्रवाहित होने स्थिति विकराल हो चुकी है। भूजल भी दूषित हो चुका है।

वह कहते हैं कि जिला प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम, बीडीए को संयुक्त रूप से प्रयास करना होगा। एसटीपी का ईमानदारी से संचालन कराया जाए, बिना उपचारित नालों के दूषित पानी का नदियों में प्रवाह रोका जाए। तभी यह नदियां पुनर्जीवित हो सकेंगी।

  

यह भी पढ़ें- UP को मिलने वाली है नई रफ्तार: गोरखपुर-शामली ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के लिए सर्वे पूरा, जानें पूरा रूट
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
cy520520

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
137988

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.