आज भी दिल दहला देता है देहरादून का डीप फ्रीजर हत्‍याकांड, जिसके साथ सात फेरे लिए उसी के 72 टुकड़े करके फेंके

Chikheang 2025-12-18 02:07:55 views 818
  

राजेश गुलाटी ने जिसके साथ सात फेरे लिए उसी के 72 टुकड़े करके मालसी डियर पार्क में फेंके. File



जागरण संवादाता, देहरादून। वर्ष 2010 में दिल दहलाने वाले अनुपमा हत्याकांड का मामला जब भी सामने आता है तो हर किसी का दिल दहल जाता है। आरोपित साफ्ट इंजीनियर राजेश गुलाटी ने पत्नी अनुपमा गुलाटी के 72 टुकड़े करके दो माह तक डीप फ्रिजर में रखे और फिर मालसी डियर पार्क के जंगल में ठिकाने लगा दिए। वर्ष 2017 में लोअर कोर्ट ने राजेश गुलाटी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मंगलवार को उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आजीवन कारावास की सजा से संबंधित निर्णय को बरकरार रखा। उच्च न्यायालय के फैसले पर स्वजनों ने भी सराहना की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

1992 में राजेश व अनुपमा की मुलाकात एक कामन फ्रेंड के जरिये दिल्ली के रेस्टोरेंट में हुई और वे एक-दूजे को दिल दे बैठे। सात साल के अफेयर में साथ-साथ पढ़ाई की। 10 फरवरी 1999 को परिणय-सूत्र में बंध गए। संग जीने-मरने की कसमें खाईं और शादी के अगले ही साल राजेश व अनुपमा अमेरिका चले गए। वहां अनबन शुरू हो गई। 2003 में अनुपमा दिल्ली लौट आई, पर राजेश उसे मनाकर 2005 में फिर से अमेरिका ले गया। जून 2006 में अनुपमा ने जुड़वां बच्चों सिद्धार्थ और सोनाक्षी को जन्म दिया, पर रिश्तों में खटास बढ़ती गई। दोनों 2008 में अमेरिका से लौटे तो उनके स्वजनों ने सुलह कराने का नया रास्ता तलाशा और उन्हें देहरादून में बसने की सलाह दी।

जुलाई 2009 में वे देहरादून आ गए और प्रकाश नगर में वेद प्रकाश मित्तल के घर को किराये पर लिया। बच्चों का दाखिला डीपीएस स्कूल में करा दिया, मगर दंपती के बीच कलह खत्म नहीं हुई। मामला घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिकारी के दफ्तर तक पहुंचा और राजेश को फटकार लगी। सितंबर 2010 में तय हुआ कि राजेश अनुपमा को प्रत्येक माह खर्च के लिए 20 हजार रुपये देगा। एक माह तो राजेश ने ऐसा किया, लेकिन अगले माह इस बात ने तूल पकड़ लिया। 17 अक्टूबर 2010 को जब झगड़ा हुआ तो भी वजह यही रही। और राजेश ने अनुपमा को बेरहमी से मार डाला। बच्चों को दूसरे कमरे में सुला दिया। सुबह बच्चे उठे तो बोला कि मम्मी नाना के घर चली गई है।

बच्चे मम्मी के बारे में पूछते तो लैपटाप पर फर्जी ई-मेल दिखा देता। फोन मिलाने को कहते तो टाल जाता। बच्चों को क्या पता था कि मम्मी घर में फ्रीजर में बंद हैं। राजेश ने फ्रीजर का लाक लगा रखा था। छुट्टी के दिन बच्चों को मसूरी घूमाने के बहाने वह शव के टुकड़ों को ठिकाने लगा रहा था।
जानकारी जुटाने हरिद्वार से दून पहुंचा अनुपमा के भाई का दोस्त

17 अक्टूबर 2010 के बाद कई दिनों तक अनुपमा की मायके वालों से बात नहीं हुई तो उन्हें कुछ शक हुआ। अनुपमा के भाई सिद्धांत ने 11 दिसंबर को हरिद्वार निवासी अपने दोस्त माधव पौड़ियाल को दून जाकर जानकारी लेने को कहा। 12 दिसंबर को माधव यहां पहुंचा तो राजेश ने दरवाजा खोला।

उसने खुद को पासपोर्ट एजेंट बताकर अनुपमा के बारे में पूछा। राजेश ने कहा कि अनुपमा दिल्ली गई हुई है। शक होने पर सिद्धांत दून पहुंच गया। लाश के टुकड़ों को ठिकाने लगाकर राजेश बच्चों को लेकर विदेश भागने की फिराक में था। लगातार ससुरालियों की ओर से अनुपमा से बात कराने के दबाव से राजेश समझ गया था कि अब ज्यादा दिन बचना संभव नहीं। इसलिए उसने सामान की पैकिंग शुरू कर दी थी। जिस दिन खुलासा हुआ, उस दिन भी वह पैकिंग कर रहा था।
12 दिसंबर 2010 को किया था गिरफ्तार

शक होने पर जब पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार किया और पूछताछ की तो उसकी बातें सुनकर सब सन्न रह गए। आरोपित ने बताया कि पत्नी की हत्या करने के बाद उसने कटर से उसके 72 टुकड़े किए और दो माह तक फ्रिज में रखे। इसके बाद टुकड़ों को ठिकाने लगाने के लिए मालसी डियर पार्क ले गया। वर्ष 2017 में निचली कोर्ट ने आरोपित को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई। मौजूदा समय में राजेश गुलाटी के दोनों बच्चे अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैँ।

यह भी पढ़ें- अनुपमा गुलाटी हत्‍यांकाड: पत्नी के 72 टुकड़े करने वाले पति की सजा पर बड़ा अपडेट, नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
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