deltin33 • 2025-12-17 17:07:27 • views 791
झाझा में 4:24 बजे ही बंद मिला महात्मा गांधी हाईस्कूल
संवाद सहयोगी, जमुई जिले के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में ग्यारहवीं की अर्द्धवार्षिक परीक्षा किस हाल में संचालित हो रही है, इसकी सबसे बड़ी गवाही शाम चार बजे विद्यालयों में लटके ताले दे रहे हैं। हालात यह हैं कि परीक्षा के नाम पर महज औपचारिकता निभाई जा रही है और पूरी व्यवस्था मजाक बनकर रह गई है। बीते सोमवार से बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा जारी कार्यक्रम के तहत ग्यारहवीं की अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हुई हैं। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रथम पाली की परीक्षा सुबह 09:30 बजे से 12:45 बजे तक, जबकि दूसरी पाली की परीक्षा दोपहर 02:00 बजे से शाम 05:15 बजे तक संचालित होनी है, लेकिन जिले के अधिकांश उच्च माध्यमिक विद्यालयों में हकीकत इसके ठीक उलट है। शाम चार बजते ही विद्यालयों में ताले लटक जाते हैं, जिससे साफ है कि परीक्षा समय से पहले ही समेट दी जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ग्यारहवीं की अर्द्धवार्षिक परीक्षा बन गई औपचारिकता, जिम्मेदारों की लापरवाही उजागर
ऐसे में सवाल उठता है कि जब परीक्षा का निर्धारित समय पूरा ही नहीं कराया जा रहा तो मूल्यांकन और शैक्षणिक गुणवत्ता की उम्मीद कैसे की जाए? इससे न सिर्फ छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, बल्कि परीक्षा प्रणाली की साख पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। हैरानी की बात यह भी है कि कुछ विद्यालयों में शिक्षक मनमर्जी पर उतर आए हैं। विद्यालय समय से पहले बंद कर ई-शिक्षा कोष पर आनलाइन उपस्थिति में आउट दर्ज करने से भी गुरेज नहीं किया जा रहा है, यानी कागजों पर सब कुछ नियमों के अनुरूप, जबकि जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम ने संध्या चार बजे जिले के विभिन्न उच्च माध्यमिक विद्यालयों में चल रही ग्यारहवीं की अर्द्धवार्षिक परीक्षा का जायजा लिया तो हर जगह लगभग एक ही तस्वीर सामने आई, सन्नाटा, बंद गेट और लटके ताले। यह दृश्य शिक्षा-व्यवस्था की बदहाली को उजागर करने के लिए काफी था। अब देखना यह है कि जिला शिक्षा प्रशासन इस गंभीर लापरवाही पर क्या कार्रवाई करता है, या फिर ग्यारहवीं की अर्द्धवार्षिक परीक्षा यूं ही मजाक बनकर रह जाती है |
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