ठंड में रात में हार्ट अटैक का अधिक खतरा (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, मेरठ। रात में अचानक छाती में दर्द, भारीपन, गले में घुटन, सांस फूलना और गैस बने तो बिना देरी किए नजदीकी अस्पताल पहुंचे। इसे नजरअंदाज न करें। यह हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है। इन लक्षणों के साथ मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल से लेकर निजी अस्पतालों की कार्डियक यूनिट में बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विशेषज्ञों का कहना है कि ठंडक में तापमान गिरने पर खून गाढ़ा होने और बीपी बिगड़ने पर तनाव बढ़ने से रात में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। रात में हार्ट अटैक पड़ने का ये है कारण हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार ठंड के मौसम में रात में तापमान कम हो जाता है। शरीर का सर्केंडियन रिदम (जैविक घड़ी का प्रभाव) कोर्टिसोल और एड्रेनालाइन जैसे तनाव हार्मान को बढ़ाता है। इससे रक्त नलिकाएं सिकुड़ती हैं।
रक्तचाप में अचानक वृद्धि होने से दिल पर दबाव पड़ता है। ठंड में खर्राटे की समस्या बढ़ने से सांस बार-बार रुकती है। इससे शरीर में आक्सीजन का स्तर कम होने से हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ता है। ठंड में ब्लड में जमाव की प्रवृत्ति बढ़ने से धमनियों में ब्लाकेज का खतरा है।
गहरी नींद के दौरान दिल की धड़कन धीमी हो जाती है। कमजोर धड़कन वाले रोगियों में रक्त प्रवाह बाधित होने का खतरा रहता है।
रात के 11 बजे से सुबह आठ बजे के बीच हार्ट अटैक के मामले दोगुना: डा. संजीव सक्सेना
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. संजीव सक्सेना कहते हैं कि रात के 11 बजे से सुबह आठ बजे के बीच हार्ट अटैक के मामले दोगुना हो गए हैं। इसकी वजह ठंड और प्रदूषण है।
-बुजुर्ग, दिल, बीपी,शुगर और सांस के रोग ठंड के मौसम में रात में शादी समाराेह में जाने से बचें।
-शाम सात बजे के बाद घर में ही रहें। रात में बहुत ज्यादा पानी न पिएं और हल्का भोजन करें।
-अपनी दवाएं नियमित लें। कोशिश करें रात 10 बजे तक सो जाएं। इससे शरीर का सर्केंडियन रिदम संतुलित रहता है।
-घुटन, छाती में दर्द, गैस बनने, भारीपन और सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचे।
-दिल के रोगी बीपी-शुगर नियमित जांचे। बैड कोलेस्ट्राल 50 से नीचे रखें। जरा सी परेशानी हो तो ईसीजी जांच तुरंत कराएं।
ठंड और ऊपर से प्रदूषण बन सकता है हार्ट अटैक की वजह: डा. राजीव अग्रवाल
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. राजीव अग्रवाल कहते हैं कि ठंड में रात का तापमान अचानक गिरता है। नसों में सिकुड़ने व खून में चिपचिपापन हो जाता है। जिससे रात में हार्ट अटैक अधिक पड़ते हैं।
-रात 12 बजे से सुबह चार बजे तक हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है। इस दौरान छाती में दर्द, गले में घुटन, गैस बनने पर बिना देरी किए अस्पताल पहुंचे।
-सुबह-शाम ठंड के मौसम में घर से बाहर न जाएं। एक तो ठंड और ऊपर से प्रदूषण हार्ट अटैक की वजह बन सकता है।
-यदि अस्पताल ले जाते समय मरीज की अचानक सांस रुक जाए तो उसकी छाती को दोनों हाथ से दबाकर सीपीआर जरूर दें।
-दिल के या अन्य बीमारियों के मरीज अपना शुगर-बीपी नियंत्रित रखें। इमरजेंसी में अस्पताल पहुंचने पर सबसे पहले ईसीजी कराएं।
-धूम्रपान व अल्कोहल का सेवन न करें। ठंड के मौसम में अल्कोहल लेने से तेजी से शरीर का तापमान गिरता है।
-सोने से पहले हल्का भोजन करें। वसायुक्त व भारी भोजन पाचन पर दबाव डालता है। इससे दिल भी प्रभावित होता है।
50 बेड की इमरजेंसी के 24 घंटे में पहुंच रहे 100 से ज्यादा मरीज
इमरजेंसी मेडिकल अफसर डा. शिल्पी केसरवानी ने बताया कि लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज की इमरजेंसी 50 बेड की है। ठंड और प्रदूषण के चलते हार्ट और दमा अटैक के मामले बढ़ने से 24 घंटे में 100 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। इमरजेंसी के ग्रीन, येलो, रेड जोन और हाल्टिंग एरिया से सभी बेड मरीजों से भरे हैं। मेडिसिन, कार्डियोलाजी विभाग के आइसीयू भी भर गए हैं। इसलिए मरीजों को बेड के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। स्ट्रेचर ही उन्हें उपचार मुहैया कराया जा रहा है। |
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