लद्दाख को राज्य बनाने की मांग पर एकमत नहीं हैं लद्दाखी, बौद्ध बहुल इलाकों के निवासियों ने किया विरोध

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केंद्र सरकार स्पष्ट संकेत दे रहा है कि बातचीत की यह प्रक्रिया लंबी चलेगी।



राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य बनाने की मांग पर लद्दाखी एकजुट नही हैं। लद्दाख के बौद्ध बहुल कई इलाकों के निवासियों ने लद्दाख को राज्य बनाने का मांग का विरोध किया है।

लद्दाख के मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार से बातचीत की प्रक्रिया के चलते लद्दाख बुद्घिस्ट एसाेसिएशन के कुछ पूर्व पदाधिकारियों ने लेह अपेक्स बाडी के गठन के साथ उठाए जा रहे मुद्दों को लेकर सवाल उठाए हैं। लेह अपेक्स बाडी द्वारा लेह में केंद्र सरकार को भेजे प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए बुलाई कई बैठक में भी कुछ लोगों ने आरोप लगाए कि लद्दाख के मूल मुद्दों से ध्यान बटाने की कोशिश हो रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

लद्धाख बुद्धिस्ट संगठन के पूर्व महासचिव स्कारमा नामताक ने अपेक्स बाडी को पत्र लिखकर केंद्र सरकार को भेजे गए मसौदे का विरोध किया। इसे लद्दाख व बौद्ध विरोधी करार देते हुए उन्होंने लद्दाख को राज्य बनाने की मांग को भी अनुचित ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि लद्दाख के चांगथांग, जंस्कार, नुबरा, शाम व आर्यन वैली के लोग राज्य दर्जे की मांग का कड़ा विरोध करते हैं।
लेह अपेक्स बाडी में 3 बौद्ध व चार मुस्लिम सदस्य हैं

उन्होंने लिखा है कि मसौदा तैयार करने वाली संगठनों में कारगिल के जंस्कार व आर्यन वैली का प्रतिनिधित्व ही नहीं है। लेह अपेक्स बाडी में 3 बौद्ध व चार मुस्लिम सदस्य हैं। वहीं 7 सदस्यीय कारगिल डेमोेेक्रेटिक अलायंस में केवल एक बौद्ध सदस्य है।

लद्दाख के मुद्दों पर गृह मंत्रालय को हाल ही में भेजे गए मसौदे पर कई गंभीर प्रश्न उठे हैं। बुधवार शाम को लेह में लोगों के साथ लेह अपेक्स बाडी के पदाधिकारियों की बैठक में क्षेत्र के कुछ निवासियों ने दिल्ली भेजे गए मसौदे पर सवाल उठाए कि वे जानना चाहते हैं कि क्या छठे शेडयूल व अनुच्छेद 371 की पुरानी मांगें बदल दी गई है। उनका कहना है कि इस तरह के बदलाव सवाल पैदा कर रहे हैं। इससे मसौदे की दिशा और मंशा को लेकर लद्दाख के लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
अपेक्स नेताओं ने पहले छठे शेड्यूल के लागू होने की बात की थी

वहीं नामताक ने भी मसौदे में शामिल कुछ मुद्दों पर मुद्दों पर सच छिपाने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि मसौदे में कारगिल व लेह के लिए स्वायत्त विकास परिषदों का जिक्र तो है लेकिन लद्दाख में बने पांच नए जिलों के बारे में कुछ नही है। इन पांच नए जिलों का क्या होगा। पत्र में यह प्रश्न भी पूछा गया कि अपेक्स नेताओं ने चुनावों से पहले छठे शेड्यूल के लागू होने की बात की थी। लेकिन केंद्र सरकार स्पष्ट संकेत दे रहा है इसके लिए प्रक्रिया लंबी चलेगी। सच क्या है।

मसौदे में पहली बार सामने आए शब्द “ छठे शेडयूल - ए व अनुच्छेद 371 की जगह 371-के होने पर नामताक ने पूछा है कि इससे भ्रम पैदा हो रहा है।
सुझावों व फीडबैक को गृह मंत्रालय के साथ साझा किया जाएगा

वहीं लेह अपेक्स बाडी के सह अध्यक्ष छेरिंग दोरजे का कहना है कि हमने लेह में एक खुली चर्चा में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के संवैधानिक संरक्षण पर गृह मंत्रालय को भेजे गए ड्राफ्ट प्रस्ताव पर विस्तृत विचार-विमर्श किया। बैठक में समुदाय के सदस्यों, विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों और हितधारकों ने सक्रिय रूप से भाग लेकर अपने सुझाव और विचार साझा किए।

चर्चा के दौरान प्रतिभागियों ने संवैधानिक सुरक्षा से संबंधित अनेक प्रमुख प्रावधानों पर स्पष्टीकरण मांगा। हमने लोगों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए ड्राफ्ट के विभिन्न बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी दी है। लेह में चर्चा के दौरान मिले सकारात्मक सुझावों व फीडबैक को गृह मंत्रालय के साथ होने वाली आगामी बैठक में शामिल करने के प्रयास किया जाएंगे।
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