प्रतीकात्मक तस्वीर।
आशीष चौरसिया, ग्रेटर नोएडा। दिव्यांगों, डायबिटिक के साथ खिलाड़ियों के पैरों में होने वाली समस्या जैसे एक तरफ से अधिक प्रेशर पड़ने या अधिक देर तक खड़े रहने व चलने के कारण पैरों में दर्द की समस्या का निराकरण जीटा वन टीम ने खोज निकाला है। जीएल बजाज में आयोजित स्मार्ट इंडिया हैकाथान के हार्डवेयर एडिशन में दयानंद सागर विश्वविद्यालय बेंगलुरु के जीटा वन की टीम ने आर्थोसेंस नाम की डिवाइस बनाया है, जो आटोमेटिक पैरों में जिस तरफ अधिक प्रेशर पड़ता है वहां एडजस्ट करता है। इस तरह का यह पहला स्वेदशी डिवाइस है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दिव्यांगों के पैरों में होने वाली समस्या, सर्जरी के मरीजों, लंबे समय तक खड़े रहकर काम करने वाले लोगों और डायबिटिक से ग्रसित मरीजों के अलावा एथलेटिक्स खिलाड़ियों के साथ ही होने वाली समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय समाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय की ओर से यह जिम्मेदारी दी गई थी। जीटा वन टीम की सदस्य एसवी कृतिका और लक्ष्मी वी ने बताया कि उनकी पूरी टीम आर्थोसेंस डिवाइस को बनाने के लिए कई महीनों से लगी हुई है और अब इसे तैयार कर लिया गया है।
उन्होंने बताया कि पैरों में दर्द की समस्या के लिए लोगों को डाॅक्टरों के पास बार-बार जाना पड़ता है, लेकिन अब जाने की जरूरत नहीं रहेगी। उस दर्द से राहत दिलाने के लिए उनकी टीम ने आर्थोसेंस नाम की डिवाइस को तैयार किया है, जिससे व्यक्ति के पैरों में होने वाले दर्द और उनके एक अधिक पड़ने वाले प्रेशर को आटोमेटिक बैलेंस करेगा। यह डिवाइस अपने आप में इसलिए भी खास है क्योंकि अभी तक की डिवाइसों में आटोमेटिक सिस्टम नहीं ।
जूतों व चप्पल के सोल में लगेगी डिवाइस
आर्थोसेंस डिवाइस को जूतों या चप्पलों के सोल में लगाया जाएगा। दिव्यांगों के चलने के दौरान एक पैर में अधिक प्रेशर पड़ने के कारण उन्हें हमेशा पैरों में दर्द की समस्या बनी रहती है। साथ ही सर्जरी के बाद मरीजों को चलने में होने वाली परेशानी और उन्हें अपने शरीर का बैलेंस बनाने में दिक्कतों के अलावा डायबिटिक मरीजों के पैरों में हमेशा दर्द की शिकायत के साथ ही एक ही स्थान पर लंबे समय तक खड़े रहकर काम करने वाले को होने वाले दर्द की समस्या से यह राहत दिलाएगा, क्योंकि यह डिवाइस उस व्यक्ति के तरफ पड़ रहे प्रेशर को ऑटोमेटिक ही एडजस्ट कर देगा और इससे उसे कभी भी दर्द जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
छह से 10 घंटे तक है बैट्री बैकअप
टीम के मेंटर अभिनव जेसी ने बताया कि डिवाइस पूरी तरह से आटोमेटिक डिजाइन की गई है। इसका बैट्री बैकअप करीब छह से 10 घंटे तक का है। डिवाइस का प्रोपोटाइप तैयार हो गया है। अब सरकार इसे अपने स्तर पेटेंट के साथ अन्य कार्रवाई करेगी और लोगों के उपयोग के स्तर से बाजार में लाएगी। डिवाइस को बनाने वाली टीम को एसवी कृतिका लीड कर रही हैं। वहीं इसमें लक्ष्मी वी, विप्रा, प्रगति कब्बूर, सपंदना डीसी, कार्तिक राज शामिल हैं।
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