कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम विधेयक, 2025, विधानसभा में पेश। (पीटीआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम विधेयक, 2025, बेलगावी में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया गया। इसमें पूरे राज्य में हेट स्पीच और नफरत से प्रेरित अपराधों को रोकने से उद्देश्य से एक व्यापक स्वतंत्र कानून का प्रस्ताव है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह विधेयक सार्वजिक रूप से भड़काऊ बयानों को रेगुलेट करने, कड़ी जेल की सजा और जुर्माना लगाने और नफरत फैलाने वाले ऑनलाइन कंटेंट को ब्लॉक करने के तरीकों के साथ संगठनात्मक जवाबदेही शुरु करने का प्रयास करता है।
विधेयक में हेट स्पीच के व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है, जिसमें व्यक्ति (जीवित या मृत), समूह, वर्ग या समुदाय के खिलाफ पूर्वाग्रहरपूर्ण हित को बढ़ावा देना के लिए चोट, असामंजस्य या नफरत पैदा करने के इरादे के किसी भी बोले गए, लिखे गए या दिखाए गए या इलेक्ट्रॉनिक अभिव्यक्ति को शामिल किया गया है।
इसमें पूर्वाग्रह शब्द में धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय, लिंग, यौन सुझान, जन्म स्थान, निवास, भाषा, विकलांगता या जनजाति के नाम पर पूर्वाग्रह शामिल है, जो केंद्रीय कानूनों में पाई जाने वाली पापंपरिक संरक्षित श्रेणियों से परे है।
जेल के साथ, जुर्माना भी
विधेयक में हेट स्पीच को एक नए अपराध के रूप में पेश किया गया है। जिसमें हेट स्पीच बनाने, प्रकाशित करने, प्रसारित करने, बढ़ावा देने, प्रचार करने या उकसाने को शामिल किया गया है। प्रस्तावित सजा पहली बार अपराध करने वालों के लिए एक से सात साल की जेल और 50,000 रुपये का जुर्माना, और बार-बार अपराध करने वालों के लिए दो से दस साल की कैद और 1 लाख रुपये का जुर्माना है। विधेयक के तहत सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय हैं।
पीड़ितों के लिए मुआवजा
विधेयक के तहत, अदालतें हुए नुकसान के आधार पर पीड़ितों को मुआवजा दे सकती हैं। विधेयक में सार्वजनिक भलाई, शिक्षा, विज्ञान, साहित्य, कला, विरासत या धार्मिक उद्देश्यों के लिए सद्भावना से प्रकाशित सामग्री के लिए सीमित छूट शामिल है, बशर्ते कि यह नफरत को बढ़ावा न दे।
कार्यकारी मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी निवारक कार्रवाई कर सकते हैं यदि यह मानने का कारण है कि हेट क्राइम अपराध होने की संभावना है।
यदि कोई संगठन शामिल है, तो उस समय उसके संचालन के लिए जिम्मेदार लोगों को तब तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जब तक कि वे ज्ञान की कमी साबित न करें या उचित सावधानी न दिखाएं।
सख्ती से लागू करना
एक तय राज्य अधिकारी को इंटरमीडियरी और सर्विस प्रोवाइडर्स को इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल प्लेटफॉर्म से हेट-क्राइम कंटेंट को ब्लॉक करने या हटाने का निर्देश देने का अधिकार दिया जाएगा, जो IT एक्ट, 2000 के ब्लॉकिंग प्रावधानों जैसा ही होगा।
यह बिल मौजूदा केंद्रीय कानूनों को पूरा करता है और भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023, और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के साथ मेल खाता है।
यह राज्य सरकार को नियम बनाने की शक्तियां भी देता है और एक्ट को लागू करते समय सद्भावना से काम करने वाले अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करता है।
उम्मीद है कि यह बिल विधानसभा में हेट-स्पीच रेगुलेशन के दायरे, पुलिस शक्तियों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर इसके असर को लेकर बड़ी बहस शुरू करेगा। |